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सूर्य दोष निवारण के लिए वैदिक और तांत्रिक दोनों प्रकार मन्त्र प्रयोग किये जाते हैं. कुछ पौराणिक मन्त्र श्लोक भी प्रयोग करते हैं लेकिन सबसे प्रशस्त वैदिक मन्त्र ही मान्य है. यहाँ सूर्य का तांत्रिक विधि सहित दिया गया है. इसके लिए सूर्य देव का विधि पूर्वक तांत्रिक पूजन करके न्यास आदि के बाद मन्त्र का जप करना चाहिए. इस दशांश हवन, तर्पण और मार्जन भी करना चाहिए और अंत में उसका दसवां भाग के अनुसार ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए. हवन न करने कि स्थिति में दशांश का दो गुना जप करना चाहिए.

श्रीसूर्यमन्त्र- ॐ ह्राँ ह्रीं सः
विनियोग : ॐ अस्य श्रीसूर्यमन्त्रस्य अज ऋषिः, गायत्री छन्दः, सूर्यो देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिः, सः कीलकम्, श्रीसूर्यप्रीत्यर्थे जपे
न्यास: –
ऋष्यादिन्यासः -ॐ अज ऋषये नमः शिरसि । ॐ गायत्रीछन्दसे नमः मुखे ।
ॐ सूर्यदेवतायै नमः हृदि । ॐ ह्रां बीजाय नमः गुह्ये ।
ॐ ह्रीं शक्तये नमः पादयोः । ॐ सः कीलकाय नमः सर्वाङ्गे ।
करन्यासः –ॐ आं ह्रीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । ॐ ईंह्रीं तर्जनीभ्यां नमः ।
ॐ ऊँ ह्रीं मध्यमाभ्यां नमः । ॐ ऐं ह्रीं अनामिकाभ्यां नमः ।
ॐ औं ह्रीं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । ॐ अः ह्रीं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।
हृदयादि न्यास– ॐ आं ह्रीं हृदयाय नमः । ॐ ईंह्रीं सिरसे स्वहा ।
ॐ ऊँ ह्रीं शिखायै वषट । ॐ ऐं ह्रीं कवचाय हूँ ।
ॐ औं ह्रीं नेत्र त्रयाय वौषट । ॐ अः ह्रीं कवचाय हूँ ।
सूर्य देव का ध्यान-
ॐ रक्ताम्बुजासनमशेषगुणैकसिन्धु, भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि ।
पद्मद्वयाभयवरान्दधतं कराब्जैर्माणिक्यमौलिमरुणाङ्गरुचिं त्रिनेत्रम् ॥ १॥
इस प्रकार ध्यान करके मानसोपचार पूजन करें तदन्तर विधिवित पूजन करके जप करें .