
सूर्य का तीसरे भाव में फल तृतीय भाव में सूर्य अपेक्षाकृत उत्तम फल करता है। जातक पराक्रमी और कुशाग्र बुद्धि का होता है। धन धान्य और नौकर चाकरों से युक्त होकर सम्मानित होता है। तृतीय भाव में सभी क्रूर ग्रह अच्छा फल करते हैं। तृतीये चंडांशौ भवति जनने विक्रमकलाऽविस्तारो यस्यातुलबलमलं तीर्थगमनं । विपक्षाणांक्षोभ: सपदि समरे भूपकृपया प्रतापस्याधिक्यं सहजगणतो दुःखमनिशम्।। -जीवनाथ के अनुसार जिस मनुष्य के जन्म समय में सूर्य तृतीयभावगत हो तो उसके पराक्रम का विस्तार होता है। वह बली, तीर्थ यात्रा करने वाला, संग्राम से शत्रुओं को पराभूत करने वाला और राजा की कृपा से अधिक प्रतापी होता है। इसे सगे भाइयों से सदा दुःख प्राप्त होता है। – वैद्यनाथ के अनुसार जिस मनुष्य के जन्म समय में सूर्य तीसरे स्थान में होता है वह शूरवीर, दुर्जनों की सेवा लेनी वाला, धनाढ्य और त्यागी होता है ।
-मानसागरी के अनुसार जातक के भाई नही होंगे, पुत्र व संपत्ति होगी, सहनशील व साहसी होगा व स्त्रियों के प्रति आकर्षित होने की प्रवृति होगी।
– फलदीपिका के अनुसार जातक शक्तिशाली, संपन्न, दयालु और सगे-सम्बन्धियों से शत्रुता का भाव रखने वाला होता है ।
-सारावली के अनुसार जिसके तृतीय भाव में सूर्य होता है वह पराक्रमी, बलवान, भातृहीन, सर्वजनप्रिय, सुंदर और प्रज्ञ होता है। वह दुष्टों को जीतने वाला होता है।
-ढुंडिराज के अनुसार जिसके जन्म के समय तीसरे घर में सूर्य हो वह मधुरभाषी होता है। यह धन सम्पन्न होता है, इसे वाहन का सुख प्राप्त होता है। इसका चित्त शुभ कर्म में लगा रहता है। इसका घर नौकरों चाकरों से भरा रहता है, यह शरीर शक्ति सम्पन्न होता है।
विशेष – ग्रंथो के अनुसार तृतीय भाव में पाप ग्रह की स्थिति जातक को साहसी बनाती है हालांकि सूर्य पाप ग्रह नहीं है पर इसे क्रूर ग्रह माना गया है और इसलिए यहाँ पर इसकी स्थिति जातक को परिश्रमी बनाता है और उसमे कठिनाइयों को सामना करने की क्षमता बढ़ जाती है । तीसरे भाव में पाप ग्रह का होना भाई-बहनों के लिए अच्छा नही माना जाता है पर फिर भी अन्य ग्रहों की दृष्टि स्थति और युति से परिणाम में भिन्नता आ जाती है । तृतीय भाव में सूर्य के अलग अलग राशियों में अलग अलग फल होते हैं। तृतीय में मेष का या पुरुष राशि सूर्य बड़े भाई का मारक होता है, मेष का सूर्य हो तो आलसी, शरीर को कष्ट देने वाला, बातूनी, उपद्रवकारी होता है। अन्य सिंह इत्यादि पुरुष राशियों में विचारशील, बुद्धिमान, राजकीय कार्य करने वाला, नेता, किसी संस्था का अध्यक्ष इत्यादि होता है। मिथुन, तुला, धनु में लेखक, प्रकाशक इत्यादि बनाता है। स्त्री राशि का सूर्य सन्तति के लिए अच्छा होता है, जातक को धन सम्पत्ति और वाहन दिलाता है।