श्री बृहस्पति नाम स्तोत्र छोटा है लेकिन स्कन्द पुराण में इसे प्रभावी माना गया है. पीले पदार्थों से गुरु बृहस्पति का पूजन कर ब्राह्मण भोजन कराने से ग्रह पीड़ा की शांति होती है, आरोग्य प्राप्त होता है, सन्तानहीनता खत्म होती है और जीवन सुखमय होता है. ऐसा स्कन्द पुराण में कहा गया है. स्कन्द पुराण काफी प्राचीन और प्रमाणिक माना जाता है.
विनियोग –
अस्य श्रीबृहस्पतिस्तोत्रस्य गृत्समद ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, बृहस्पतिर्देवता, बृहस्पतिप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।
स्तोत्र-
गुरुर्बृहस्पतिर्जीवः सुराचार्यो विदांवरः ।
वागीशो धिषणो दीर्घश्मश्रुः पीताम्बरो युवा ॥ १॥
गुरु, बृहस्पति, जीव, सुराचार्य, वरिष्ठ, वागीश, बुद्धिमान, लम्बी दाढ़ी रखने वाले, पीतवस्त्र धारण करने वाले युवा हैं.
सुधादृष्टिर्ग्रहाधीशो ग्रहपीडापहारकः ।
दयाकरः सौम्यमूर्तिः सुरार्च्यः कुङ्मलद्युतिः ॥ २॥
शुभ दृष्टि रखने वाले, ग्रहों के स्वामी, ग्रहपीड़ा हरने वाले, दयावान, सौम्य मूर्ति, देव जिनकी पूजा करते हैं वे गुरु कुमंगलो का नाश करने वाले हैं.
लोकपूज्यो लोकगुरुर्नीतिज्ञो नीतिकारकः ।
तारापतिश्चाङ्गिरसो वेदवैद्यपितामहः ॥ ३॥
लोक पूज्य, संसार के गुरु, नीतिज्ञ, नीति निर्माण करने वाले, तारा पति, अंगिरस, ब्राह्मणों और वैद्यों के पितामह हैं.
भक्त्या बृहस्पतिं स्मृत्वा नामान्येतानि यः पठेत् ।
अरोगी बलवान् श्रीमान् पुत्रवान् स भवेन्नरः ॥ ४॥
भगवान बृहस्पति के इन नामों का स्मरण करने और पढने से व्यक्ति निरोगी, बलवान, श्रेष्ठ और पुत्रवान होता है.
जीवेद्वर्षशतं मर्त्यो पापं नश्यति नश्यति ।
यः पूजयेद्गुरुदिने पीतगन्धाक्षताम्बरैः ॥ ५॥
इन नामों से गुरु की पीले गंध, अक्षत आदि से पूजा करने पर व्यक्ति के पापों का नाश कर सौ वर्ष की आयु प्रदान करते हैं.
पुष्पदीपोपहारैश्च पूजयित्वा बृहस्पतिम् ।
ब्राह्मणान्भोजयित्वा च पीडाशान्तिर्भवेद्गुरोः ॥ ६॥ ॥
बृहस्पति की पीले पुष्प, दीप और माला से पूजा कर ब्राह्मण भोजन कराने से ग्रहों की पीड़ा शांत होती है.
इति श्रीस्कन्दपुराणे बृहस्पतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

