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पारम्परिक ज्योतिष में चन्द्रमा, लग्नेश और सूर्य तीनों के दु:स्थान *6, 8, 12 में होने को अशुभ माना जाता है. लेकिन चन्द्रमा भोग और सुख कारक है इसलिए पाया का विचार चन्द्रमा से किया जाता है. जन्म कुंडली में चन्द्रमा जिस भाव में होता है उस भाव के अनुसार पाया निर्धारित किया जाता हैं जैसे लग्न, 6, 11 भावों में चन्द्रमा हो तो सोने का पाया होता है. यदि 2,5,9 भावों में चन्द्रमा हो तो चांदी का पाया होता है जबकि 3,7,10 भावों में चन्द्रमा हो तो तांबे का पाया होता है और 4,8,12 भावों में चन्द्रमा हो तो लोहे का पाया होता है.

चांदी का पाया –

कुंडली में चांदी का पाया हो तो उसके जीवन में खुशहाली और सुख शांति रहती है. इन जातकों के सभी मनोरथ पूरे होते हैं व समय पर सभी कार्य होते है. ये जातक जातक यश प्रतिष्ठा पाते हैं.

तांबे का पाया –

कुंडली में तांबे का पाया भी अच्छा माना गया है. ये जातक भी जीवन कुछ ठीकठाक कर लेते हैं. इन्हें कार्यों में सफलता मिलती है और इनके भी मनोरथ पूरे होते हैं.

सोने का पाया –

कुंडली में सोने का पाया सामान्य होता है. इन जातकों का जीवन सामान्य रहता है और कुछ न कुछ नुकसान होता रहता है. सभी कुछ होते हुए भी इनको शांति नहीं मिलती है और लोगो से भी परेशानी होती रहती है.

लोहे का पाया –

कुंडली में लोहे का पाया होना अनिष्टकारी होता है सभी कार्यो में रूकावट या विघ्न आते है शरीर में रोग व कष्ट हो सकता है. इन जातकों पिता को परेशानी होती है और सुख नहीं मिलता. इन्हें धन की कमी सदैव बनी रहती है. ये धन का संग्रह नहीं कर पाते.