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शुक्र अपनी सुन्दरता के लिए विख्यात हैं. शुक्र जीवन में जो कुछ भी सुंदर है उसका कारक है. यह सभी कलाओं, भोग और सभी प्रकार के वैभव का कारक है. अपने उच्च भाव में स्थित हो तो यह तप और महान विद्या का धनी बनाता है. यह एक स्त्री ग्रह है इसलिए इसमें स्वाभाविक माधुर्य और सुन्दरता है और यह विवाह और बिस्तर सुख का प्रमुख ग्रह है. शुक्र देव के पैराणिक आख्यान से भी उनके कारकत्व और स्वभाव को समझा जा सकता है. शुक्र की पुत्री देवयानी से कुरु वंश की स्थापना हुई थी. भगवद्गीता में भगवान ने शुक्र अपना स्वरूप बताते हुए कहा है “

वृष्णीनां वासुदेवोऽस्मि पाण्डवानां धनंजयः।
मुनीनामप्यहं व्यासः कवीनामुशना कविः।।10.37।।
 वृष्णिवंशियोंमें वासुदेव और पाण्डवोंमें धनञ्जय मैं हूँ. मुनियोंमें वेदव्यास और कवियोंमें कवि शुक्राचार्य भी मैं हूँ.

शुक्र के कुछ प्रमुख कारकत्व नीचे दिए जा रहे हैं-

पत्नी और वैवाहिक जीवन, प्रसिद्धि और उपाधियाँ, श्वेत क्षत्र, लौकिक महिमा, सभी स्त्रियाँ, दिन के समय भी सेक्स करने वाले, स्त्री की पूजा, वेश्याओं में अनुरक्ति, महाकाव्य लिखना, आत्मसंतुष्टि और वासना, संगीत-नृत्य और ड्रामा (ट्रिपल सिम्फनी), चंदन, फूल और सुगंधित पदार्थ, कस्तूरी-बिस्तर, राजकुमारियां और शारीरिक आनंद. सुंदर लोगो की कंपनी, यौवन, कामुकता, चमकदार सुंदर और कामुक आंखें, धन और वैभव, समृद्धि, लावोलश्कर और शानदार गाड़ियाँ, श्वेत मालाएँ, फूल और गुलदस्ते, सम्मान, आकर्षक शैली और राजसी जीवन, कानून, साहित्य-काव्य और नाटकीय कार्य, हीरे-माणिक और जहाज, समुद्री व्यापार, नौसेना और समुद्री व्यवसाय. विदेशी उत्पाद , फैशन, आशावाद और योग्यतम की उत्तरजीविता, श्री विद्या उपासना, मानवजाति पर शासन करना, मित्र, गाय, दूध-दही, इमली, कामदेव, तावीज़ और यंत्र, आकर्षक भाषण, विवाह मंडप, विवाह एवं अन्य शुभ उत्सव.

पौरुष, दक्षिण-पूर्व दिशा, मयूर, तोता, वीणा, सभी कलाओं में निपुण, महान विद्या, सत्य बोलने वाला, सभी भोग, जल क्रीड़ा, माता के कार्य करने वाला, श्वेत वस्त्र, ब्राह्मण, रजोगुण (भावुक), वसंत ऋतु (चित्रा-वैशाख), स्वाद (पंचेन्द्रिय), चेहरे पर निशान, 7 साल, लता और फूलो से लदा हुआ पेड़, श्वेत सुगन्धित पुष्प, अगस्त्य पुष्प, रेशम, यजुर्वेद, हरम, उत्कृष्ट कपड़े, मोती, खट्टा स्वाद, धातु (मिनेरा) ), चंवर, आज्ञा, तिरक्षी नजर, राज्य, अष्ट मंगल, वीर्य, राज्य की मुद्रा, मैथुन प्रियता, नाग लोक में विचरण करने वाला, राजसी वृत्ति, हाथी-घोड़ा-पालकी, मणि, दुर्गा तथा लक्ष्मी, देवी पूजन, गौग्राम (अवारे), कीकट , चौथी, नवमी और चतुर्दशी , चवर्ग, अंक 6,144 मील, डॉक्टर का पेशा, टिन और लीड, राजनीति, स्टार ऑफ़ डेविड, ऑक्टोगोन आकार, लिंग, नाक, भार्गव गोत्र, संस्कृत, ठंडा, उत्कृष्ट भोजन और पेय, जल तत्व, स्वामित्व-वृषभ और तुला. नीच राशि कन्या और उच्च राशि मीन, अयन उत्तरायण, दैत्य गुरु, देव गुरु से सम, शनि के परम मित्र,