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लेटे हनुमान मंदिर संगम के निकट प्रयागराज में स्थित है. यह गंगा यमुना के तट के अत्यंत करीब है इन्हें वहां के लोग बड़े हनुमान जी का मंदिर कहते हैं. प्रयाग’ में इन्‍हें बड़े हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी, लेटे हनुमानजी और बांध वाले हनुमानजी के नाम से भी जाना जाता है. यहां जमीन से नीचे हनुमानजी की मूर्ति लेटे हुए अवस्था मे है तथा हनुमान जी अपनी एक भुजा से अहिरावण और दूसरी भुजा से दूसरे राक्षस को दबाये हुए हैं. यह भारत का एकमात्र मंदिर है जिसमें हनुमान जी की मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में हैं. यहां पर स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा 20 फीट लम्बी बताई जाती है. यह मंदिर हिन्दुओ के लिए अति श्रद्धा का केंद्र और इलाहाबाद में एक दर्शनीय स्थान है. यहां मंगलवार और शनिवार को भारी भीड़ उमड़ती है. पुण्यदायिनी गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम में स्नान करनेवाले श्रद्धालु भी यहां दर्शन करना नहीं भूलते. बाढ़ के मौसम में यहाँ गंगा भगवान हनुमान जी का स्पर्श करती है फिर गंगा का पानी उतरने लगता है. गंगा और यमुना में पानी बढ़ने पर लोग दूर-दूर से, यहां यह नजारा देखने आते है. मंदिर के गर्भगृह में हनुमान जी की मूर्ति स्थपित है जो मंदिर के 8.10 फीट नीचे स्थित है.

ऐसी मान्यता है कि लंका पर जीत हासिल करने के बाद जब हनुमानजी लौट रहे थे तो रास्‍ते में उन्‍हें थकान महसूस होने लगी. तो सीता माता के कहने पर वह यहां संगम के तट पर लेट गए. इसको देख भक्तों ने यहां लेटे हनुमानजी का मंदिर बना दिया. मन्दिर के इतिहास के अनुसार यह मंदिर कम से कम 600 वर्ष पुराना है. मन्दिर के पुजारी इसके इतिहास के बारे में बताते हुए कहते हैं कि कन्‍नौज के राजा के कोई संतान नहीं थी. उनके गुरु ने उपाय के रूप में बताया, ‘हनुमानजी की ऐसी प्रतिका निर्माण करवाइए जो राम लक्ष्‍मण को नाग पाश से छुड़ाने के लिए पाताल में गए थे. हनुमानजी का यह विग्रह विंध्‍याचल पर्वत से बनवाकर लाया जाना चाहिए.’ जब कन्‍नौज के राजा ने ऐसा ही किया और वह विंध्‍याचल से हनुमानजी की प्रतिमा नाव से लेकर आए. तभी अचानक से नाव टूट गई और यह प्रतिका जलमग्‍न हो गई. राजा को यह देखकर बेहद दुख हुआ और वह अपने राज्‍य वापस लौट गए. इस घटना के कई वर्षों बाद जब गंगा का जलस्‍तर घटा तो वहां धूनी जमाने का प्रयास कर रहे राम भक्‍त बाबा बालगिरी महाराज को यह प्रतिमा मिली. फिर उसके बाद वहां के राजा द्वारा मंदिर का निर्माण करवाया गया.

ऐसी ही अनेक कहानियाँ लेटे हनुमान से जुड़ी हुई हैं. ऐसा माना जाता है कि किला बनवाते समय अकबर ने हनुमान को हटाने का आदेश दिया था लेकिन सारी सेना लग गई परन्तु हनुमान जी को डिगा नहीं पाई थी. कहा जाता है कि उसके बाद अकबर दर्शन करने आया था. प्रयाग में स्थित लेटे हनुमान जी सबकी कामनाएं पूरी करते हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय और कम्पटीशन की तैयारी करने वाले क्षात्रों की यहाँ भीड़ रहती है. मगलवार और शनिवार को यहाँ एक लाख से ज्यादा लोग दर्शन करते हैं. यह एक सिद्ध मन्दिर माना जाता है.