शुक्र एक अति शुभ ग्रह है लेकिन क्रूर ग्रहों द्वारा दूषित होने, नीच या अस्त होने या दु:स्थान में होने पर यह बहुत अशुभ फल करता है. शुक्र को केंद्राधि’पत्य दोष भी लगता है और ऐसे में यह बड़ा क्रूर बन जाता है. इसके द्वारा पीड़ित व्यक्ति अनेक अनेक तरह के दुःख झेलता है, गरीबी और दरिद्रता का सामना करता है. स्त्री जाति द्वारा पीड़ा, स्त्री से हानि, पत्नी से कष्ट, स्त्रियों द्वारा तिरस्कार, गुरुओं का श्राप, पितरों द्वारा पीड़ा, यह सब शुक्र अपनी अशुभ दशा में देता है. यह अनेक रोग उत्पन्न करता है. शुक्र की खराब दशा में त्वचा रोग, डिम्भाशय का रोग, एक्जीमा, गुप्त रोग, मधुमेह, आंख के रोग, रक्ताल्पता इत्यादि होते हैं. ऐसे में शुक्र के कुछ सामान्य उपचार दिए जा रहे हैं जिसे आप स्वयं कर सकते हैं.
उपचार –
1-शुक्र यंत्र को शुक्र के नक्षत्र में अष्टगंध और अनार की कलम से भोजपत्र पर लिख कर उसकी प्राणप्रतिष्ठा करके. उसी शुक्रवार के दिन शुक्र के नक्षत्र में ही धारण करें. पुरुष दाहिने और स्त्री बायें हाथ में बांधे.
2-सिंह पुच्छ या सरपोंखा को हल्के पीले रंग के धागे में शुक्र मन्त्र “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नम: से अभिमंत्रित कर हाथ में बाँधने से शुक्र बाधा की शांति होती है.. पुरुष दाहिने और स्त्री बायें हाथ में बांधे. इसे बाँध कर शुक्र मन्त्र का जप भी करना चाहिए.
3- औषधि स्नान भी एक बेहतर उपाय है. मूल के सहित हरड, बहेड़ा, आंवला, इलायची, केशरऔर मैंनशील को जल में डाल कर स्नान करने से शुक्र की शांति होती है.
4-चांदी, चावल, मिश्री, दूध, श्वेत पुष्प, श्वेत वस्त्र, श्वेत चन्दन, दही, सुगन्धित वस्तुएं, हीरा, श्वेत गाय, श्वेत घोड़ा आदि का दान शुक्र बाधा को खत्म करता है. बहुत नहीं कर सकते तो हर शुक्रवार को सवा किलो चावल दक्षिणा सहित किसी ब्राह्मण को प्रदान करते रहे. दान सदैव संकल्प पूर्वक दें. यदि मंत्रात्मक संकल्प न ले सकें तो मानसिक संकल्प लें “हे शुक्र देव हम आप की प्रसन्नता के लिए अमुक वस्तु का दान करते हैं. आप हमारे लिए शुभ होवें ”
5- प्रतिदिन शुक्र मन्त्र “ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:” का ध्यान सहित 1 माला सायं को तारा दिखने पर जप करें.
शुक्रध्यान –
श्वेताम्बर: श्वेतवपु: किरीटी चतुर्भुजो दैत्यगुरु: प्रशान्त:।
तथाऽक्षसूत्रंच कमण्डलुंच दण्डंच बिभ्रद्वरदोऽस्तु मह्यम॥
शुक्र गायत्री भी बहुत प्रभावशाली मन्त्र है –
ऊँ भृगुवंशजाताय विद्यमहे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्न: कवि: प्रचोदयात॥
6- शुक्र की प्रसन्नता के लिए इन्द्राणी स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी कहा गया है. यहाँ देखें इन्द्राणी स्तोत्र के पाठ की विधि .

