यह अति गम्भीर देव्यथर्वशीर्ष पर पहली पूर्ण व्याख्या है जो किसी भाष्य की तरह ही है. इससे पहले किसी विद्वान् ने इस पर भाष्य नहीं लिखा है. यह देवी दुर्गा की महिमा का गायन है. लेखक दुर्गा भक्त हैं. नवमी को पूरी हो जायेगी व्याख्या .. पिछली नवरात्रि में आधा पूर्ण हुआ था. इस अथर्वशीर्ष का जो अध्ययन करता है और इसके अर्थ को सही सही जानता है, उसे पाँचों अथर्वशीर्ष के जप का फल प्राप्त होता है, वह दुर्गा जी का प्रेम प्राप्त करता है. उसे मुक्ति प्राप्त होती है. उसके समक्ष सभी देवता सिर झुकाते हैं.


