हिंदू धर्म में श्रावण मास को बहुत ही पवित्र माना जाता है. भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. पूरे सावन का महीना में भगवान शिव की पूजा अर्चना, अभिषेक और कांवड़ यात्रा होती है. यह चातुर्मास का सबसे शुभ महीना है. इस पूरे माह में भगवान शिव की आराधना, व्रत और अनुष्ठान करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सावन में सोमवार व्रत का विशेष महत्व है. शिव पुराण के अनुसार जो कोई भी भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा करता है, व्रत और दान करता है, उसकी भोलेनाथ हर मनोकामनाएं पूरी करते हैं. हर साल की तरह सावन का महीना आषाढ़ पूर्णिमा के पश्चात ही शुरू हो जायेगा. अषाढ़ पूर्णिमा 21 जुलाई को 3:37 pm तक है तदुपरांत श्रावण कृष्ण प्रतिपदा चालू हो जायेगी लेकिन उदया तिथि के अनुसार 22 जुलाई, सोमवार कृष्ण प्रतिपदा से सावन का महीना व्रत इत्यादि का प्रारम्भ होगा. ऐसे में पहला श्रावण सोमवार व्रत 22 जुलाई को रखा जाएगा. इस वर्ष सावन का महीना अत्यंत शुभ है, सावन के महीने की शुरुआत और अंत सोमवार से ही हो रहा है. इस बार श्रावण में कुल 5 सोमवार पड़ेंगे. सावन महीने का आखिरी सोमवार व्रत 19 अगस्त को रखा जाएगा, इस दिन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि रहेगी, जो अत्यंत शुभ है. इस दिन शोभन योग रहेगा और इसी दिन सोमवार को रक्षाबंधन के साथ श्रावण महीने का समापन होगा. श्रावण पूर्णिमा की वेदमाता गायत्री की जयंती भी मनाई जाती है.
श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा के पांच सोमवार हैं तो दूसरी तरफ माता पार्वती की पूजा के लिए चार मंगलवार मिलेंगे. हिन्दू महिलायें प्राचीन काल से मंगला गौरी का पूजन करती आ रही हैं. इस बार श्रावण में चार मंगलवार मंगला गौरी यानी मां पार्वती की भी पूजा होगी. हर सोमवार व्रत के अगले दिन मंगला गौरी व्रत पड़ता है. इसमें माता पार्वती के गौरा स्वरूप और पूजन किया जाता हैभगवान शिव की पूजा की जाती है और माता पार्वती का व्रत और श्रृंगार पूर्वक पूजन किया जाता है. मंगला गौरी व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है. पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को पड़ रहा है और आखिरी मंगला गौरी व्रत 13 अगस्त को है. नीचे पांच श्रावण सोमवार और चार मंगला गौरी की तिथियाँ दी गई हैं –
श्रावण सोमवार पूजा तिथियाँ –
श्रावण मास का पहला सोमवार- 22 जुलाई
श्रावण मास का दूसरा सोमवार- 29 जुलाई 2024
श्रावण मास का तीसरा सोमवार- 5 अगस्त
श्रावण महीने का चौथा सोमवार- 12 अगस्त
श्रावण मास का पांचवां सोमवार- 19 अगस्त

मंगला गौरी पूजा तिथियाँ –
पहला मंगला गौरी व्रत: 23 जुलाई
दूसरा मंगला गौरी व्रत: 30 जुलाई
तीसरा मंगला गौरी व्रत: 6 अगस्त
चौथा मंगला गौरी व्रत: 13 अगस्त
मुहूर्त और योग –
पंचांग के अनुसार 22 जुलाई को सूर्योदय से रात 11:40 तक सर्वार्थ सिद्धि योग के अलावा प्रीति योग व श्रवण नक्षत्र का योग रहेगा. 23 जुलाई को सुबह 5.57 से दोपहर 12.05 तक द्वि-पुष्कर योग रहेगा. इसके बाद पूरे श्रावण माह में 7 दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेंगे. समापन पर 19 अगस्त को सूर्योदय से शाम 7.30 तक शोभन योग व पूर्णिमा तिथि सोमवार रहेगा. 23 जुलाई को मंगलवार पर मंगला गौरी पूजन की जाएगी. मंगला गौरी व्रत की पूजा सुबह 08:45 से दोपहर 02:10 के बीच की जा सकती है इस दिन मां पार्वती को विशेष पूजा और आराधना की जाती है.
धार्मिक मान्यता है कि सोमवार का व्रत करने से हर व्रती को दु:ख, कष्ट और परेशानियों से छुटकारा मिलता है और वह सुखी, निरोगी और समृद्ध जीवन का आनन्द पाता है. सावन माह में सोमवार को जो भी पूरे विधि-विधान से शिव जी की पूजा करता है, वो शिव जी का आशीर्वाद आवश्य पाता है. इस दिन व्रत करने से दुर्घटना और अकाल मृत्यु से रक्षा होती है. सोमवार व्रत से अविवाहिताओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है तथा विवाहिताओं के वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों का अंत होता है. श्रवण सोमवार अत्यंत शुभ फलदायी है. इसी प्रकार मंगला गौरी का व्रत भी विवाहिताओं के लिए एक वरदान है. सुहागिन महिलाओं के वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. मंगला गौरी का व्रत रखने से कुंडली का मंगल दोष दूर होता तथा पारिवारिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है.

