सनातन धर्म और वैदिक ज्योतिष में शनिदेव को कर्म और न्याय का देवता माना है जो कर्मों के अनुसार व्यक्ति को फल देते हैं. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन व्रत और उनका पूजन करना बहुत लाभदायक माना गया है. हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार, जो भी शनिवार के दिन भगवान शनि देव की पूजा करता है उसके जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है तथा वह हर एक प्रकार के कष्टों से दूर रहता है. जिस व्यक्ति की शनि की महादशा चल रही है और इसमें कष्ट और विपत्तियों का सामना करना पड़ रहा है तो उसे शनिवार का व्रत करना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है तथा उसे जीवन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. तो ऐसे जातक शनिवार के व्रत द्वारा शनिदेव को प्रसन्न कर सभी कष्टों से मुक्त हो सकते हैं.
शनि व्रत की विधि –
शनि का व्रत 51 या 19 शनिवार करना चाहिए. शनिवार का व्रत रखने वाले को सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. संकल्प लेने के बाद सुबह सूर्य को अर्घ्य प्रदान करके व्रत का प्रारम्भ करना चाहिए. हिन्दू धर्म के शास्त्रों के अनुसार किसी भी व्रत का प्रारम्भ सदैव सूर्य को अर्घ्य देकर करना चाहिए. शनि पूजन काले वस्त्र पहन कर करें. शनि की लोहे की प्रतिमा को स्थापित करने के बाद भगवान शनि का विधिवत पूजन सम्पन्न करना चाहिए. फ्रेम किये गये शनि के चित्र पर भी पूजन कर सकते हैं. यदि मन्त्र नहीं आता तो सिर्फ मूलमन्त्र “ॐ शं शनैश्चराय नम:” से ही सभी कर्म करने चाहिए. शनिदेव को काला वस्त्र, फूल, काला तिल, धूप आदि अर्पित करें और तेल का दीपक जलायें. तदुपरांत शांति से आसन पर बैठ कर उपरोक्त शनि मन्त्र का अथवा बीज मन्त्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम: का 11 माला जप करें. जप करते समय पास में एक लोटे में जल, काली तिल, चीनी, दुग्ध, गंगाजल मिश्रित करके रख लें. जप के बाद इस जल का पीपल वृक्ष के मूल में पश्चिम दिशा में मुख करके शनि को अर्घ्य प्रदान करें.
व्रत में भोजन में -उड़द से बनीं चीजें ही खाएं जैसे उड़द के पकौड़े, चीले इत्यादि
व्रत का उद्यापन –
आपने जितने व्रत का आपने संकल्प लिया है उस संकल्प पूरा होने के बाद अगले शनिवार सुबह उठकर पानी में गंगाजल और काले तिल डालकर स्नान करते हुए ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ का जाप करें. इसके बाद शनि देव को नीले या काले वस्त्र अर्पित करके उन्हें भोग अर्पित करें और शनि स्तोत्र का पाठ करें. शनिदेव को मिष्ठान सहित काली उड़द की दाल से बनी चीजों का ही भोग लगाएं. शनि देव के मंदिर जाकर उन्हें तेल चढ़ाएं और उन्हें नीले पुष्प अर्पित करें. शनि देव की आरती करें. तदुपरांत शनि के लिए कुछ न कुछ दान अवश्य करे. शनिवार व्रत उद्यापन के बाद दान करने का बहुत महत्व है. दान में इस दिन काले वस्त्र , छातेऔर जूतों का दान करना चाहिए. लोहे की चीजों का दान करना भी शुभ माना जाता है लेकिन ऐसा दान कोई लेता नहीं. इस दिन अन्न दान दान करने से शनि की प्रसन्नता होती है. आप इस दिन किसी शनि मन्दिर में भंडारा भी कर सकते हैं.

