कर्मफलदाता शनिदेव 29 जून से कुंभ राशि में वक्री हो रहे हैं. इस दौरान 139 दिनों के लिए वक्री अवस्था में ही रहेंगे. ज्योतिष में शनि की चाल सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि शनि कर्म क्षेत्र पर गहरा प्रभाव डालता है. शनिदेव 29 जून को रात 11:40 बजे कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे और करीब पांच महीने तक इसी अवस्था में रहेंगे. इसके बाद 15 नवंबर 2024 को शनि मार्गी होंगे. शनि जिस राशि में वक्री होता है, उस राशि के लिए कष्टकारी साबित हो सकता है हलांकि सदैव ऐसा नहीं होता है. वक्री शनि अक्सर बड़े लाभ भी प्रदान कर देता है. शनि देव सूर्य और चन्द्र के अनुसार अपना फल प्रदान करते हैं क्योंकि प्रमुख फल भोग वही कराते हैं. शनि सूर्य से पंचम स्थान पर गोचर कर रहा है ऐसे में यह ओज राशियों के लिए शुभ फलदायक हो सकता है. जो जातक शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से गुजर रहे हैं उन्हें शनि वक्री के दौरान सावधान रहने की जरूरत है. शनि की साढ़ेसाती मुख्य रूप से मकर, कुंभ और मीन राशि को प्रभावित करेगी जबकि मेष और धनु राशि पर आंशिक प्रभाव रहेगा. वृश्चिक राशि के लिए भी वक्री शनि शुभ फलदायक नहीं होगा. कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का दूसरा, मकर राशि पर आखिरी और मीन राशि पर पहला चरण चल रहा है, ऐसे में इन जातकों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
अषाढ़ महीने की अमावस्या से पूर्व शनि शनिवार को ही वक्री हो रहे हैं, ऐसे में कुछ राशियों के लिए आषाढ़ महीना शुभ नहीं रहेगा. शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलते हैं इसलिए जब तक मार्गी नहीं होते तब तक का समय शनि महादशा वाले जातकों और शनि की साढ़ेसाती वाले जातकों के लिए शुभ फलदायक नहीं होगा और उन्हें कष्ट का सामना करना पड़ सकता हैं.
मेष राशि : मेष राशि के जातकों के लिए वक्री शनि के पांच महीनों में शुभ फल प्राप्त होने की सम्भावना नहीं है. इन जातकों के एकादश भाव में गोचर कर रहे हैं जो इन्हें बहुविधि लाभ प्रदान कर सकते हैं. इस जातकों की इस समय इच्छाएं पूर्ण होंगी और देश-विदेश तथा मित्रों से लाभ प्राप्त होगा. वक्री शनि इनमें धर्म भाव की वृद्धि करेगा और ये तीर्थ की यात्रा कर सकते हैं. इसके अलावा इन जातकों विदेश यात्रा के भी योग बनेंगे. ये जातक मनोरंजन के लिए भी यात्रायें करेंगे, पार्टी करेंगे. सन्तान का इन्तेजार कर रहे जातकों को शनि सन्तान की प्राप्ति करा सकता है. कर्म क्षेत्र में इन्हें लाभ मिलेगा परन्तु हानि की सम्भावना रहेगी. शनि अपनी दसम दृष्टि से संकटों को उत्पन्न कर सकता है और जॉब छुट सकती है. कर्म क्षेत्र से शनि अकस्मात लाभ भी मिल सकता है. इन्हें अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रखना होगा, इस दौर में शनि इस सम्बन्धित समस्याओं को बढ़ा सकता है.
वृषभ राशि : वृषभ राशि से दसम स्थान में शनि अपनी राशि में वक्री होंगे इसलिए कर्म क्षेत्र सुरक्षित है. लेकिन वक्री शनि वृषभ राशि वालों के लिए कुछ चीजों में विशेष शुभ फलदायक नहीं होगा. इन जातकों को पारिवारिक जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, शनि की दसम दृष्टि के कारण मैरिड लाइफ में उथल पुथल हो सकती है और पुत्र से सम्बन्धित कष्ट होने के सम्भावना है. इनको थोड़ी मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. कर्म क्षेत्र में थोडा सतर्क रहें. इस दौर में कार्य के सिलसिले में यात्रा हो सकती है और धन लाभ भी हो सकता है. ऑफिस के कार्यों में लापरवाही न बरते और सभी कार्यों को बड़ी जिम्मेदारी से करें. शनि योगकारक है और कर्म क्षेत्र में गोचर कर रहा है इसलिए बहुत चिंता न करें, कर्म करें. वक्री शनि अपने पांच महीने के वक्री काल में इन जातको को कर्म से सम्बन्धित क्षेत्र से सम्मान और लाभ आवश्य दे सकता है. इस दौर में इन जातकों को पीपल वृक्ष की पूजा करनी चाहिए और रोज शाम एक तेल का दिया जलाना चाहिए.
कर्क राशि – कर्क राशि के जातकों के लिए शनि का वक्री होना बहुत अच्छा नहीं होगा. इन जातकों के अष्टम भाव में शनि गोचर कर रहे हैं इसलिए इन्हें अष्टम शनि का फल प्राप्त हो रहा है. अनेक प्रकार की समस्याएं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. शनि अपनी राशि में वक्री हो रहें हैं इसलिए इन्हें इस काल में विशेष सावधानी रखनी होगी. कर्क लग्न के लिए भी यह शुभ फलदायक नहीं है. यदपि कि कर्क लग्न के जातकों को अकस्मात धन लाभ और स्त्री की प्राप्ति हो सकती है. कर्क राशि के जातकों की मित्रो से लाभ और इच्छाएं पूर्ण होंगी और प्रेम की प्राप्ति होगी. इन्हें स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधान रहना होगा क्योंकि शनि इस समय कोई लम्बा रोग दे सकता है. इस दौर में दुर्घटना हो सकती है, मानसिक उन्माद बढ़ सकता है या अपमान हो सकता है. इस समय अग्नि कांड इत्यादि की सम्भावना रहेगी. इन जातकों में इस समय धर्म भाव की वृद्धि भी होगी.
कन्या राशि : वक्री शनि कन्या राशि वालों के शत्रु भाव में गोचर कर रहे शनि इनके लिए कष्टप्रद साबित हो सकते हैं. इनके मानसिक स्थिति में शनि उथलपुथल मचा सकते हैं. इन जातको को जॉब में बड़े बदलाव हो सकता है, जॉब के छुटने का भी खतरा रहेगा. इस दौरान स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें. दुर्घटना, शत्रु द्वारा कष्ट, सहकर्मियों और, कर्मचारियों, नौकरों से पीड़ा तथा बिजनेस पार्टनर से हानि हो सकती है. इस समय कर्ज से बचें क्योंकि इस दौरान धन हानि की भी सम्भावना रहेगी. कार्यों में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. जल्दबाजी में कोई फैसला न लें. इन जातको के घर परिवार पर संकट हो सकता है, पत्नी से कष्ट और कलह की सम्भवना प्रबल है. इस जातकों के लिए यह समय अच्छा नहीं है.
वृश्चिक राशि : शनि के उलटी चाल से वृश्चिक राशि वालों को विशेष शुभ फल प्राप्त होने की सम्भावना नहीं है. इन जातकों के चतुर्थ भाव गोचर कर रहे वक्री शनि इनकी मानसिक स्थित में उथल पुथल मचा सकते हैं, माता के लिए कष्टप्रद हो सकते हैं. इन जातको को पारिवारिक जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और सन्तान सम्बन्धी कष्ट हो सकता है. यदि शनि की दशा चल रही है तो बेहद सतर्क रहें. कर्म क्षेत्र में पार्टनर से मुश्किलें बढ़ सकती हैं. यदपि कि कर्म क्षेत्र से शनि इन जातकों अकस्मात लाभ या सफलता प्रदान कर सकता है अथवा नौकरी प्रदान कर सकता है. इस समय स्वास्थ्य की समस्या उभर सकती है और हास्पिटल के चक्कर लग सकते हैं. यह पांच महीने धैर्य के साथ चलने की जरूरत होगी.
मीन राशि : इन जातको के शनि द्वादश में गोचर कर रहे हैं और ये साढ़ेसाती की मार झेल रहे हैं. शनि की वक्री चाल से मीन राशि वालों के जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थिति बन सकती है. शनि इन जातको के कार्यों में अनेक प्रकार के विघ्न-बाधाओं उत्पन्न कर सकता है और हानि के भी योग हैं. इस गोचर में अपमान हो सकता है, दुश्मन से पराजय और दुख बढ़ सकता है. लेकिन इस दौरान इनको विदेश से लाभ हो सकता है, मीडिया इत्यादि क्षेत्रो में कार्यरत जातकों को शनि कुछ बड़े लाभ भी दे सकता है. ऑफिस के कार्यों में लापरवाही न बरतें. इस वक्री दौर में ये जातक की यात्रा कर सकते हैं और विदेश से आय कर सकते हैं. सेक्स लाईफ में गलत प्रवृत्तियों को न पनपने दे, इस समय कोई लाइलाज बीमारी उभर सकती है. इन जातको के अचानक से खर्च बढ़ सकते है और अचानक हानि भी हो सकती है. इस समय मन काफी उद्वेलित और विचलित रह सकता है.

