Spread the love

केतु अपनी सात वर्ष की अशुभ दशा में भयंकर कष्टकारी और धन नाशक होता है. केतु के दोष से संतानोत्पत्ति में भी बड़ी बाधा आती है. अशुभ केतु के दशा में कार्यों में अचानक से रूकावटें आने लगती है और बनते हुए कार्य भी बिगड़ने लगते हैं. व्यक्ति को व्यापार में नुकसान और नौकरी में परेशानियां बढ़ने लगती हैं. केतु के कारण व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होने पर व्यक्ति को अनेक प्रकार के कष्ट और परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में इस छोटे स्कन्द पुराण में वर्णित केतु के पचीस नामों को समाहित करने वाले स्तोत्र का गणेश पूजन के साथ पाठ करने से तुरंत शांति मिलती है.

केतुः कालः कलयिता धूम्रकेतुर्विवर्णकः ।
लोककेतुर्महाकेतुः सर्वकेतुर्भयप्रदः ॥ १॥

रौद्रो रुद्रप्रियो रुद्रः क्रूरकर्मा सुगन्धधृक् ।
पलाशधूमसंकाशश्चित्रयज्ञोपवीतधृक् ॥ २॥

तारागणविमर्दी च जैमिनेयो ग्रहाधिपः ।
गणेशदेवो विघ्नेशो विषरोगार्तिनाशनः ॥ ३॥

प्रव्रज्यादो ज्ञानदश्च तीर्थयात्राप्रवर्तकः ।
पञ्चविंशतिनामानि केतोर्यः सततं पठेत् ॥ ४॥

तस्य नश्यति बाधा च सर्वकेतुप्रसादतः ।
धनधान्यपशूनां च भवेद् वृद्धिर्न संशयः ॥ ५॥ ॥

इति श्रीस्कन्दपुराणे केतोः पञ्चविंशतिनामस्तोत्रं संपूर्णम् ॥