तिथियों में एकादशी तिथि का सम्बन्ध भगवान विष्णु से है, त्रयोदशी का सम्बन्ध भगवान शिव से है लेकिन एक एकादशी है जिसका सम्बन्ध भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती से भी है। हिन्दू कैलेंडर के फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी तिथि भगवान शिव और पार्वती माता से भी सम्बन्धित एकादशी है। इस एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव पहली बार माता पार्वती का हिमालय से गौना कराकर अपनी नगरी काशी में लेकर आए थे। इस अवसर पर बाबा विश्वनाथ माता गौरी का स्वागत रंग, गुलाल से हुआ था और गणों ने उनके साथ होली खेली थी। फाल्गुन की आमलकी एकादशी को हर साल काशी में बाबा विश्वनाथ और माता गौरा का धूमधाम से गौना कराया जाता है। इस दिन काशी में बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है और उनको दूल्हे के रूप में सजाते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का स्वागत लाल गुलाल और फूलों से होता है। पूरे नगर में माता पार्वती और शिव जी की चांदी का विग्रह को स्थापित कर धूमधाम से नगर में सवारी निकाली जाती है। वे दोनों नगर का भ्रमण करते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं । रंगभरी एकादशी को काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
https://www.youtube.com/watch?v=vFPEtmLScts
पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 मार्च दिन रविवार को सुबह 10 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 14 मार्च दिन सोमवार को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, रंगभरी एकादशी 14 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होगी । साथ ही भगवान भोलेनाथ और माता गौरा का भी पूजन होगा। रंगभरी एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होगा, जो रात 10 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। रंगभरी एकादशी को पुष्य नक्षत्र रात 10 बजकर 08 मिनट तक होगा। रात्रि में तो गंगा स्नान सम्भव नही है ,लेकिन यदि दिन में पुष्य नक्षत्र होता तो गंगा स्नान का भी पुण्य मिलता।

