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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राममन्दिर का निमार्ण होने में अभी 2-3 साल लगेंगे. मन्दिर के प्राणप्रतिष्ठा की जल्दबाजी का धर्म से कोई लेना देना नहीं है, यह एक राजनीतिक कार्यक्रम है जिसमे अधर्म किया जा रहा है. हिन्दू धर्म में अधूरे बने घर में गृहप्रवेश नहीं किया जाता है यहाँ भगवान का प्रवेश 30% बने मन्दिर में किया जा रहा है. एक शिखर विहीन अधूरे मन्दिर में देवता की स्थापना नहीं की जा सकती है.

मन्दिर की वर्तमान स्थिति

चारो शंकराचार्यों ने इसे अशास्त्रविहित और अधार्मिक बताया है. भगवद्गीता के अनुसार आसुरी प्रवृत्ति के लोग अशास्त्रविहित घोर करने वाले अधर्मी होते हैं.

आत्मसम्भाविताः स्तब्धा धनमानमदान्विताः।
यजन्ते नामयज्ञैस्ते दम्भेनाविधिपूर्वकम्।।
अपनेको सबसे अधिक पूज्य माननेवाले, अकड़ रखनेवाले तथा सत्ता- धन और मान के मदमें चूर रहनेवाले वे असुरी प्रवृत्ति के मनुष्य दम्भसे अविधिपूर्वक शास्त्र और धर्म की मर्यादा को न मानते हुए नाम मात्र का धर्माचरण करते हैं.

नरेंद्र मोदी का सब कुछ एक प्रोपगेंडा और झूठ है. उनमें धेला भर का न सत्य है और न धर्म. हर कर्म दिखावा और फोटो सेशन के लिए मॉडलिंग करने वालों की तरह करते हैं. चुनाव नजदीक आ गया तो मन्दिर के नाम पर वोट लेने के लिए आधा-अधूरा बने मन्दिर में शास्त्र और धर्म की मर्यादा का नाश करके भी प्राणप्रतिष्ठा किया जा रहा है. अधर्मियों द्वारा किया जा रहा यह पूर्णत: राजनीतिक प्रोग्राम है.

जल्दबाजी का आलम यह है कि 6000 निमन्त्रण कार्ड छापे गये है और उसपर invitation की अंग्रेजी गलत है. कहा गया है “जल्दबाजी का काम शैतान का ” और वही असुरी प्रवृत्ति के लोग प्राणप्रतिष्ठा कर रहे.