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राहु- केतु एक छाया ग्रह है और मायावी ग्रह कहे गये हैं. राहु- केतु को ज्यादातर ज्योतिषी कर्मा ग्रह मानते हैं. इन दोनों का चरित्र ज्यादातर मामले में अज्ञात रहता है, ये क्या करेंगे यह बता पाना थोडा कठिन होता है. इन छाया ग्रहों के चरित्र में घटनाओं को अकस्मात और एक सीरिज में अंजाम देने का विशेष गुण होता. यह घटना चक्र तब तक चलाते रहते हैं जब तक कि वह अंजाम तक नहीं पहुंचता. उदाहरण के लिए मान लीजिये किसी राजा को इन्हें बेदखल करके देश निकाला देना है तो ऐसे में ये तब तक शांत नहीं होंगे जब तक उसका देश निकाला हो नहीं जाता. इस बीच ये एक सीरिज में घटनाओं को अंजाम देंगे और घटनाएँ ऐसी होंगी जिससे जातक हतप्रभ हो जायेगा.

राहु- केतु बड़े धन संग्राहक हैं (hoarders ) लेकिन ये बड़ा धन नाशक भी होते हैं. कुछ स्थितियों का आगे जिक्र किया जा रहा है. राहु- केतु मनी होर्डिंग जितनी तेजी से करते हैं उतनी तेजी से उसका नाश भी करते हैं. यदि यह दूसरे घर में हो, षष्टमेश या अष्टमेश के साथ हो या अकेला हो अथवा दु:स्थान से कोई ग्रह दृष्टि डालता हो विशेष रूप से अष्टमेश या शनि-मंगल की दृष्टि घातक होती है. ऐसे में किसी पाप ग्रह की महादशा में इसकी अन्तर्दशा में धन नाशक हो सकती है. ज्यादातर मामले में अष्टमेश की महादशा में इनकी दशा अथवा राहु- केतु से अष्टम या द्वादश स्थित धनेश की महादशा में इसकी अन्तर्दशा धन का नाश कर सड़क पर ला सकती है. राहु केतु को एकसाथ ही देखना चाहिए क्योंकि दोनों एक ही अक्ष पर एकसाथ गोचर करते हैं. अक्सर दोनों का समग्र फल एकदूसरे से स्वतंत्र नहीं होता. राहु भी उसी प्रकार से धन नाशक बन जाता है. केतु की दूसरी सबसे विनाशक स्थिति होती है जब यह दशम लार्ड से युत हो, दृष्ट हो तब भी यह बड़ा धन नाशक होता है. यदि सूर्य से भी यह अष्टम होता है तब भी दशम भाव के लिए हानिकारक बन जाता है. यह घटना चक्र को बहुत तेजी से चलाएगा और तब तक नहीं रुकेगा जब नाश नहीं कर देगा.

ऐसी बहुत सी कुंडलियाँ देखी जा सकती हैं. फ़िलहाल निम्नलिखित कुंडलियों को देखें . दशमेश-केतु से सम्बन्धित एक कुंडली हिटलर की है और दूसरी गौतम अडानी की है और धन भाव से सम्बन्धित एक कुंडली राजू रामालिंगा सत्यम कम्प्यूटर की है. हिटलर की कुंडली में केतु 10th lord and 6th lord बृहस्पति के साथ युति में है और उनकी राहु पर पूर्ण दृष्टि है. राहु बुध की राशि में है और बुध केतु के नक्षत्र में है. ऐसे में राहु-महादशा और बुध प्रत्यंतर में युद्ध की शुरुआत हो गई 1939 में और राहु में मारक बने शुक्र की प्रत्यंतर दशा में उसका पूर्ण विनाश और जर्मनी का भी विनाश हुआ .

दूसरी अडानी की कुंडली में केतु भाग्यभाव में शनि के साथ है जिसकी दृष्टि 3rd house स्थित राहु और लग्न स्वांमी तथा 6th lord शुक्र पर है. शुक्र-राहु-राहु, शुक्र-राहु-बृहस्पति दशा में ये 6 महीने के भीतर विश्व के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति बन गये. बृहस्पति पाप ग्रह है इसलिए इसका फल शुभ एकदम नहीं होना था. वृष लग्न में शुक्र लग्नेश होता है लेकिन शुभ नहीं माना जाता “जीवशुक्रेन्दव: पापा:” कहा गया है. ऐसे में पाप ग्रह में पाप ग्रह की दशा अन्तर्दशा कैसे शुभ होगी ? यदि षष्टमेश का आधा पाप फल भी रखें तो तदनुसार फल तो होगा ही. भुक्ति लार्ड राहु ने इतनी तेजी से मनी होर्डिंग किया कि सारी दुनिया अवाक रह गई थी. लेकिन दशमेश शनि केतु के साथ है इसलिए 17 जनवरी को शनि के कुम्भ राशि में गोचर के साथ ही जब शनि की तीसरी दृष्टि द्वादश स्थित राहु पर पड़ी तो शुक्र-राहु-शनि दशा में इनका 110 बिलियन डालर हवा में उड़ गया और नाश अब तक रुका नहीं है. हिंडनवर्ग की रिपोर्ट 24 जनवरी 2023 को आई थी, लगभग एक वर्ष होने जा रहे हैं. नीचे कल की खबर है-

तीसरी कुंडली राजू रामालिंगा की देख सकते हैं. रामालिंगा सत्यम कम्पूटर सर्विसेस के सीईओ थे ..राहु-चन्द्र-केतु दशा में 7 January 2009 को रामालिंगा ने कबूला की उसने 7000 करोड़ का घोटाला किया है और इस दशा में गिरफ्तार होकर जेल गया. राहु केतु ने रामालिंगा को तबाह कर दिया.