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राधा स्वामी सत्संग कुछ पिछले तीन चार दिन से अपनी आतंकवादी गतिविधियों के कारण चर्चा में है. विगत 24 सितम्बर को आगरा के दयालबाग़ में राधा-स्वामी की आर्मी से मुठभेड़ हुई, इस मुठभेड़ में योगी आदित्यनाथ की पुलिस को लाठियों से मार भगाया. सत्संगियों की महिला आरएएफ ने पुलिस से ऐसे मोर्चा लिया जैसे एक देश का जनरल दूसरे देश के जनरल से लेता है. इनके हमले में कई सिपाही घायल हो गये. इस मुठभेड़ में महिला पुलिस कर्मियों ने तीन-चार आतंकवादी महिलाओं को पकड़ा है. राधा स्वामियों ने एक अपनी आर्मी बनाई है जिसमे कम उम्र लडकियों को रखा है. लड़कियों की उम्र 14 साल से 18 साल के बीच है जबकि कुछ लड़कियां 14 साल से भी कम उम्र की भी हैं. इस आर्मी में लड़कियां आर्मी ड्रेस में रहती हैं. ऐसा बताया जाता है कि राधा स्वामी विदेशियों और नेताओं को बुला कर इनको ही परोसते हैं और डॉलर कमाते हैं, राजनीतिक फेवर लेते हैं. राजनीतिक फेवर द्वारा ही इन्होने गरीब हिन्दुओं की जमीनों पर कब्जा किया है. राधा-स्वामी गिरोह से पुलिस की मुठभेड़ का कारण जमीन विवाद और क्षेत्र में हिन्दुओं में भय का होना है.

खबरों के अनुसार दयालबाग में भगवान टॉकीज से लेकर खेलगांव व आसपास बसे नगला तल्फी, खासपुर, जगनपुर, मनोहरपुर, सिकंदरपुर, जगन्नाथपुर, बूढ़ी का नगला तक करीब 10 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में सत्संगियों ने हिन्दुओं की जमीनों पर कब्जा करके अपनी सत्ता कायम कर रखी है. इन्होनें 100 से अधिक ग्रुप बनाएँ हैं जो चप्पे-चप्पे पर नजर रखते हैं. इनके पास कम्युनिकेशन के लिए निजी वायरलेस सिस्टम है. व्हाट्सएप व टेलीग्राम पर ग्रुपों में लगातार सत्संगियों को हर वक्त किसी भी संघर्ष से निपटने के लिए तैयार रहने के निर्देश देते रहते हैं.

आपको बता दें कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास की स्थापना 1891 में आगरा के सेठ शिवदयाल सिंह द्वारा की गई थी. इसका उद्देश्य लोगों को धार्मिक संदेश देना था. गौरतलब है कि इस गिरोह का कोई निश्चित धार्मिक मत नहीं है. इनके धार्मिक प्रवचन में गुरुग्रन्थ से लेकर कबीर, सूफी, भक्त कवियों और तमाम क्षेत्रीय कवियों के धार्मिक गीत, कविताएँ होती हैं.

मूलभूत रूप से ये सूफी मत को मानते हैं और सिख पन्थ की तरह ही इनका आचार-विचार हैं. राधा स्वामी सत्संग ब्यास दुनिया भर के 90 देशों में फैला हुआ है. पूरे देशभर में 5 हजार से भी ज्यादा राधास्वामी सत्संग की छोटी-बड़ी शाखाएं हैं. इन्होने अपने विस्तार में हिन्दुओं की जमीनो पर कब्जा किया और सत्संग स्थापित किये. इनकी  शाखाएं 100 एकड़ तक में फैली हुई हैं. सेंटर अमृतसर के डेरा गांव में स्थित ब्यास इनका हेडक्वार्टर है, यह 300 एकड़ में फैला है. बताया जाता है कि इन्होने राजनीतिक सांठगाँठ से हिन्दुओं, गरीब सिखों की जमीन पर कब्जा कर यह वृहद केंद्र विकसित किया था. बताया जाता है कि दयाल सिंह एक हुक्काबाज था साथ में दूसरे प्रकार की हुक्केबाजी भी करता था. यह मरने के बाद अपनी एक शिष्या के साथ आकर हुक्का पीता था और सेक्स करता था. इसको भूत-जिन्न विद्या आती थी.

मैं एकबार भटकते हुए यहाँ पहुंच गया था. जब पहुंच ही गया था तो हमने विधिवत इसका भ्रमण किया. यह छोटा मोटा नगर है. यहाँ की लाइब्रेरी में मैंने तीन चार घंटे बिताये थे. वहां हिन्दू किताबें न के बराबर थीं. ज्यादातर किताबे सूफी पन्थ के कवियों, उपदेशकों से सम्बन्धित थी. राधा स्वामी के जितने प्रचारक हुए उनके प्रवचन और उनके द्वारा अनुवादित सूफी किताबे थी. यहाँ एक नगर जैसा है जिसमे बसें चलती हैं, बड़ी बड़ी कॉलोनी है. यहाँ फ़्लैट खरीद कर रह सकते हैं. इन्होनें कई तरह के फ़्लैट बनाएं हैं जिनको ये बेचते हैं. इनके महंगे फ़्लैट भी हैं जहाँ सब कुछ मिलता है.

हिन्दू वास्तव में खतरे में है लेकिन यह खतरा कहीं बाहर से नहीं है. यह खतरा राधा-स्वामी, इस्कोन जैसे संगठनों से है. यदि जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो यह कैन्सरस बॉडी फ़ैल कर हिंदुस्तान को तबाह कर देंगे. हिन्दुओं पर ही राधा स्वामियों का सबसे बड़ा हमला है.