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कृष्ण पंथी वैष्णवों के लिए कृष्ण जन्माष्टमी के साथ राधा अष्टमी का भी महत्वपूर्ण स्थान है. कृष्ण पंथी मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन श्री राधा रानी का अवतरण हुआ था. हलांकि भागवत पुराण में राधा का कहीं भी जिक्र नहीं है. राधा वैष्णव कृष्ण पन्थ की एक तांत्रिक उत्पत्ति हैं. श्री कृष्ण की पत्नियों के इतर एक प्रेमिका हैं. सनातन हिन्दू धर्म जो मनु स्मृति पर आधारित है, वह ऐसे सम्बन्ध की मान्यता नहीं देता लेकिन वैष्णवों का गल्प राजाओं के लिए लिखा गया था इसलिए यह वैदिक धर्म से अलग ही है. राजा अपनी रानियों के इतर अलग औरते रखते या प्रेमिका रखते थे. राधा शादीशुदा थीं लेकिन गर्ग ऋषि के नाम पर लिखी संहिता के अनुसार उनका विवाह बचपन में ही ब्रह्मा जी ने कृष्ण से करा दिया था. भागवत पुराण में स्पष्ट लिखा है कि गुप्त रासलीला विवाहित महिलाओं के साथ की गई थी. वैष्णव संहितायें अवैदिक ग्रन्थ हैं और ज्यादातर तंत्र से सम्बन्धित है. पांचरात्र या सात्वत वैष्णव वेद को नहीं मानते. ऐसा कृष्णपंथियों की मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर श्री राधा रानी पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. 

राधा अष्टमी का मुहूर्त-

पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को 10 सितंबर की रात 10 बजे 11 मिनट से 11 सितंबर की रात 11 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार 11 सितंबर को ही राधा अष्टमी का व्रत रखा जाएगा.