पुष्य नक्षत्र बहुत शुभ नक्षत्र माना जाता है. कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि में पुष्य नक्षत्र हो या शनिवार/ बृहस्पतिवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो अर्थात चन्द्र देव अपनी राशि कर्क के इन अंशों में स्थित हों. इस योग में कोई कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. पुष्य नक्षत्र का पूरा समय अत्यंत शुभ होता है. इस नक्षत्र के दौरान किसी नये सामान की खरीददारी करना, खासकर कि सोने-चांदी की खरीददारी करना शुभ माना जाता है.
पुष्य नक्षत्र का अर्थ होता है- पोषण करने वाला. आकाशमंडल में स्थित 27 नक्षत्रों में से आठवां पुष्य नक्षत्र है। इस नक्षत्र के चारों चरण कर्क राशि में ही आते हैं. इसके अलावा पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह गाय के थन को माना जाता है और इसका संबंध पीपल के पेड़ से बताया गया है. अतः पुष्य नक्षत्र में जन्मे लोगों को तो इस दिन पीपल के पेड़ का पूजन करना ही चाहिए .
इसे पुष्यामि भी कहते हैं. इसके देवता बृहस्पति, स्वामी ग्रह शनि है. सूर्य सिद्धांत के अनुसार पुष्य का अर्थ पोषित करना अथवा उन्नति देना है. पुष्य को तिष्य अर्थात मंगलकारी तथा सिध्य अर्थात फलता-फूलता या हितकारी के रूप मे भी जाना जाता है.
यह नक्षत्र शनि पूजा, दुर्गा- काली पूजा, दशमहाविद्याओं की पूजा पर विशेष फलदायी रहता है. विष्णु की पूजा भी फलदायी होती है. पुष्य नक्षत्र पर गुरु और शनि दोनों का प्रभाव रहता है. इसमें सभी प्रकार का जप , पूजा, प्रार्थना, साधना सफल होती है.
पुष्य नक्षत्र के दिन क्या करें :
1- शनि मन्दिर जरुर जाएँ और शनि के समक्ष तेल का दीपक जलाएं .
२- शनि की विधिवत पूजा करें . गाय को गुड़-रोटी खिलाएं और प्रणाम करें .
इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन करें…
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।
शनि का पूजन मन्दिर में कर सकते हैं और पीपल में भी कर सकते हैं.
1. कोणस्थ,
2. पिंगल,
3. बभ्रु,
4. कृष्ण,
5. रौद्रान्तक,
6. यम,
7. सौरि,
8. शनैश्चर,
9. मंद और
10. पिप्पलाद.
3- पीपल के पेड़ के नीचे 5 दीपक तेल के दीपक में काली उड़द के एक एक दाने दाल कर जलाएं .

