वैदिक ज्योतिष में पुष्कल योग एक शुभ योग है. ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार कुण्डली में चंद्रमा जिस राशि में हो उसका स्वामी और लग्नेश युत हों और चन्द्रमा का राशि स्वामी केंद्र में (पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव) बलवान होकर पहले भाव अर्थात लग्न पर दृष्टि डालता है तो पुष्कल योग बनता है.
पुष्कल योग व्यक्ति को भू सम्पत्ति का स्वामी, उत्तम व्यवसाय करता है, उच्च अधिकारी, धन-संपत्ति, सफलता, मान-सम्मान, प्रसिद्धि प्रदान करता है. यह जातक को राजयोग तक भी प्रदान कर देता है.
इसकी तीन शर्ते हैं –
1-लग्नेश बलवान होना चाहिए और चद्रमा का राशि स्वामी भी बलवान होना चाहिए.
2-चंद्रमा का राशि लार्ड लग्न लार्ड से केंद्र में युत होना चाहिए. जिस राशि में युत हो वह उसकी अधिमित्र की राशि होनी चाहिए.
3-चन्द्रमा का राशि लार्ड लग्न को पूर्ण दृष्टि से देखे. इससे जातक बल वीर्य सम्पन्न होता है.
इन तीनो शर्तों के पूरा होने पर पुष्कल योग बनता है.

