3 जनवरी को पुर्वाम्नाय गोवर्धन मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने यह कह कर राममन्दिर उद्घाटन समारोह में जाने से इंकार कर दिया कि वहां विग्रह को मोदी स्पर्श करेंगे और हम ताली बजायेंगे ? इस बात पर काफी बवाल मचा था. शास्त्र में स्पष्ट कहा गया है कि मन्दिर के श्री विग्रह को स्पर्श करने का एकमात्र अधिकार मन्दिर के पुजारी, आचार्य और धर्मगुरुओं को प्राप्त है. इसके इतर कोई भी न तो मन्दिर के गर्भ गृह में प्रवेश कर सकता है और न ही श्रीविग्रह को स्पर्श कर सकता है. इसका प्रमाण सारे शास्त्र हैं.
पुरी शंकराचार्य के बह्मचारी शिष्यों में हृषिकेश ब्रह्मचारी काफी विद्वान् हैं और गुरु जी के प्रमुख ब्रह्मचारी शिष्यों में एक हैं. हृषिकेश ब्रह्मचारी ने एक धर्म सभा में गरूजी की बातों को स्पष्ट क्या और डंके की चोट पर कहा कि सनातन धर्म में शास्त्र ही एकमात्र प्रमाण और वेद ही एकमात्र नेत्र है जिस पर आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित परम्परा चलती है और सनातन हिन्दू धर्म को तदनुसार दिशा निर्देश देती है.

