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इस घने जंगल में दूर तक
सिर्फ अँधेरा है,
सूर्य की किरणें इसे बेध नहीं पाती.

दूर तक जंगली पुष्पों ने
जंगल को नया स्याह रंग दिया है,
पुष्पों का रंग ज्यादातर गहरा है
जीवन का दूसरा ही रंग.

दूर उस सरोवर में खिली एक नील कमलिनी
सूर्योन्मुख है,
सूर्य उस तक नहीं पहुंचता
वह सूर्य तक पहुंचती है.

उसके स्वर्णिम प्रकाश को
नीलवर्णी बनाने को उद्धत
यह कुमुदिनी
अपनी मुक्ति का क्षण खोज ही लेती है.

क्या यही जीवन का मात्र नहीं है?