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जन्म कुंडली में द्वितीय भाव या हॉउस धन का घर होता है लेकिन यह वाणी और विद्या से भी सम्बन्धित है. इस हॉउस के स्वामी की स्थिति और यहाँ स्थिति ग्रहों की स्थिति से जातक की वाणी का निर्धारण किया जाता है. द्वितीय भाव में शुभ ग्रह हो तो व्यक्ति धनवान (धन का संचय), बहुकुटुम्ब वाला होगा तथा उसकी वाणी सौम्य होगी.
अशुभ ग्रह के प्रभाव से वाणी दोष, निर्धनता, नेत्र पीड़ा, मिथ्याभाषी, परिवार में झगड़ा, कलह होने की सम्भावना होती है. अलग अलग ग्रहों के कुछ सामान्य फल यहाँ दिए जा रहे हैं –

1- यदि दूसरे घर में शनि हो तो जातक की वाणी स्पष्ट नहीं होती, उसकी भाषा भी शिष्ट नहीं होती .

2-यदि दूसरे घर में बृहस्पति हो तो जातक चतुर और निपुण होता है. उसकी वाणी अच्छी होती है.

3-यदि दूसरे घर में मंगल या सूर्य हो तो जातक की वाणी प्रतिकूल होती है.

4- यदि दूसरे घर में चन्द्रमा हो तो जातक बहुत बोलने वाला होता है.

5-यदि दूसरे घर में बुध हो तो जातक युक्तियुक्त वाणी बोलता है, उसकी बातें चातुर्यपूर्ण होती हैं.

6-यदि दूसरे घर में राहु हो तो जातक की वाणी में दीनता होती है लेकिन यदि शुभ ग्रह बुध, गुरु आदि देखे तो वाणी में ऐसा नहीं होता.

7-यदि दूसरे घर में केतु हो तो जातक की वाणी सत्य होती है लेकिन उसका विरोध होता है.

ग्रहों पर अन्य ग्रहों के प्रभाव से भी उनके स्वभाव में परिवर्तन होता है इसलिए लग्न कुंडली, चन्द्र कुंडली, बृहस्पति और अन्य प्रमुख वर्ग कुंडली से इसका निर्णय करना चाहिए.