भारतीय ज्योतिष में पितृदोष का वर्णन है, पाश्चात्य ज्योतिष में पितृदोष इत्यादि मान्य नहीं है. पाश्चात्य ज्योतिष वास्तव में कर्म सिद्धांत को भी नहीं मानता लेकिन हालिया में पाश्चात्यों पर हिन्दू और बौध दर्शन का गहरा प्रभाव पड़ा, परिणामस्वरूप कर्मा-कर्मा वो भी करते दिखते हैं. पश्चिम में भी ज्योतिषियों का एक बड़ा रैकेट है, जो अंधविश्वास को बढ़ावा देता है और मूलभूत रूप से नस्लवादी है, RACIST है या फासिज्म का समर्थक है. भारत में भी ज्योतिषियों का एक रैकेट बड़ा धंधेबाज रैकेट है, ये भी फासिज्म का समर्थन करते हैं, ये पौराणिक गपोड़शंख पर चलते हैं और अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं.
पितृदोष इस वक्त में बहुत बड़ा अंधविश्वास फ़ैलाने का माध्यम बन गया है. यदि किसी व्यक्ति को काम धंधे, रोजगार, शादी ब्याह में रुकावट आती है या जीवन में अनेक प्रकार की मुश्किलें, परिवार में कलह इत्यादि होते हैं तो ये धूर्त उनको पितृदोष बता देते हैं. यदि देखें तो पितृदोष सबमें दिख पड़ेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़ी मुश्किल में रहे, अपनी पत्नी को छोड़ कर भाग गये, बिना शादी ब्याह के रह गये, निःसन्तान हैं ? तो ये तो बहुत बड़े पितृदोष के शिकार हैं?? ये धूर्त ज्योतिषी यह बोलने की हिम्मत नहीं कर सकते. लेकिन आम जनता को ठगने के लिए उसे परिवार में हर परेशानी का कारण पितृदोष बता कर उसका खून चूसेंगे. इतने बड़े पापी हैं ये पुजारी कि अपने दुष्कर्मों और कुकर्मों का सारा ठीकरा पितरो पर फोड़ते हैं. जॉब की समस्या? पितृदोष, व्याह नहीं होता ? पितृदोष, बीबी भाग गई ? पितृदोष. वास्तव में इन धूर्त ज्योतिषियों पर ही पितृदोष भयंकर रहता है जिसका निवारण ये खुद नहीं कर पाते. इनके पितृदोष का उपाय श्राद्ध नहीं, कुछ और है जिसे ये नहीं जानते.
भारतीय ज्योतिष में पितृ दोष, सर्प दोष, भातृ दोष इत्यादि दोष बताये गये हैं लेकिन इसकी अनेक शर्ते हैं. जीवन में परेशान हैं तो पितृदोष कारण नहीं होता. हिन्दू धर्म में ज्यादातर हिन्दुओं के परिवार में सदस्यों के मृत होने पर विधिवत उनका संस्कार होता है. गरीब से गरीब हिन्दू भी उन संस्कारों को करता है. उन संस्कारों को करवाया ही इसीलिए जाता है कि मृतक की प्रेतयोनि से मुक्ति हो जाये. उन संस्कारों को कर लेने के बाद घर शुद्ध हो जाता है. हिन्दू तेरहवीं में कितना कुछ करता है, उत्तर प्रदेश इत्यादि राज्यों में हजारों लोग खिलाये जाते हैं, ब्राह्मणों को दान दिया जाता है जिसमें लाखों लग जाते हैं, फिर भी पितृदोष बना ही रहे तो फिर उन संस्कारों को करने का फायदा ही क्या है ? लेकिन यदि इन धूर्त ज्योतिषियों की मानें तो यह करने के बाद भी प्रेत घर पर ही लटक रहा है ? फिर लाखों संस्कार पर खर्च करने का फायदा ही क्या है ? वास्तव में ये ज्योतिषी ज्यादातर निपढ हैं, इनका धंधा बिना इसके सम्भव ही नहीं है. प्राचीन काल से ऐसे ही निपढ पंडे-पुजारियों ने भारत में अंधविश्वास, अधर्म को फैलाया था.
मनुष्य की अनेकानेक मुश्किलों का कारण उसके अपने स्वयं के कर्म होते हैं. इंद्र की पूजा को कृष्ण ने रोकवा दिया, यह अंधविश्वास था यादवों में कि जब तक गोवर्धन पर्वत पर इंद्र को बलि न दी जायेगी तब तक यादवों का कुछ भी भला नहीं होगा. कृष्ण ने कहा – इससे बेहतर है उन गायों को पूजना जिससे हमारा कारोबार है, हम दूध-दही -घी का व्यापार करते हैं. इसी से हमारा जीवन है. रुक जाओ, कोई इंद्र-सिंद्र की पूजा नहीं होगी. जो पकवान बनाना है, बनाओ. यही उत्सव मनाओ. ब्राह्मणों को खिलाओ, उनसे हमे विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है. गायों को खिलाओ. नाचो, गाओ और घर लौट चलो. यह भागवत पुराण में कथा है.
किसी जातक की कुंडली में अनेकानेक ग्रह संयोजन, उसके अनेकानेक कष्टों और दुखों का कारण हो सकते हैं. किसी अशुभ स्थान में स्थित ग्रह की दशा में रोजगार, काम धंधे, जीवन के अन्य पहलू प्रभावित होते हैं . इसके इतर उसके अनेकानेक कष्टों में देशकाल भी एक हेतु होता है. अन्तर्राष्ट्रीय बनियों का गिरोह जो पूंजीवाद को चलाता है, उसकी लूटपाट की नितियों, देश के पीएम की खराब नीतियों से किसी देश में आर्थिक मंदी आ जाये तो सभी प्रभावित होते हैं. हजारों जॉब्स चली जाती हैं. एक उदाहरण ले लो – मान लो सारे एयरपोर्ट मोदी ने अडानी को बेच दिए. ऐसे में लाखो SC/ST/OBC की इस क्षेत्र में जॉब की सम्भावना खत्म हो गई. जनरल कोटे के उच्च जातियों के भी जॉब की सम्भावना कम हो गई. बनिया हर चीज को व्यक्तिगत प्रॉफिट का उद्योग बना देता है. वह एम्प्लोई आधे कर देगा, और सेलरी भी कम देगा. अडानी की जितनी बड़ी कम्पनी है, उसके अनुपात में उसके कर्मचारी आधे से भी कम हैं. एलोन मस्क ने ट्विटर खरीदते ही ३००० एम्प्लोई निकाल दिए क्योंकि उसे ट्विटर को अधिकतम प्रॉफिट देने वाली कम्पनी बनाना था. ३००० एम्प्लोई निकालने के बाद भी ट्विटर चल रहा है लेकिन ३००० लोग बेरोजगार हो गये. एलोन मस्क दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति है लेकिन उसके लिए ट्विटर पर लड़ने वाले ज्यादातर तो बेरोजगार हैं. “आई सपोर्ट अडानी” ट्रेंड करने वाले ज्यादातर बेरोजगार ही रहते हैं. इस तरह ज्यादातर घरों की अशांति का कारण उनकी आर्थिक व्यवस्था का खराब होना रहता है, जब आर्थिक व्यवस्था खराब होती है तो पत्नी भी दूसरे मर्द की तरफ देखने लगती है, डायवोर्स हो जाता है. पति-पत्नी के बीच अन्यान्य ग्रहीय कारण होते हैं. वर्तमान युग एक घोर भौतिकवादी युग है. आप अच्छे ज्योतिषी से सलाह लें, इन टीका लगाये पुराणवादी धूर्त मूर्खों को टीवी और यूट्यूब पर एकदम न सुनें.
So you can see, how Hindu Purana priests and thug jyotish racket works with the system of exploitation. The real issues of life, the real problems of life is allocated elsewhere in Pitru-dosh, not there from where it arises. Job crisis is big in India, Pitru have nothing to do with it. but Modi-Adani !

