हर महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है. शाक्त धर्म में अष्टमी विशेष महत्व वाली तिथि मानी जाती है, इस दिन दुर्गा माता का व्रत और पूजा करने की परम्परा है. इस दिन पूरे विधि-विधान से मां दुर्गा की आराधना करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है. मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा की त्रिकाल पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. चैत्र या अश्विन दुर्गा अष्टमी से संकल्प लेकर एक वर्ष तक अष्टमी का व्रत रखते हुए दुर्गा पूजन करने से संकल्प के समय की गई कामना की पूर्ति आवश्य होती है. एक साल पूरे होने पर घर में जगराता करते हुए व्रत का उद्यापन कन्या पूजन, ब्राह्मण भोज और दान के साथ करना चाहिए.
दुर्गा ध्यान-
सिंहस्था शशिशेखरा मरकतप्रख्यैश्चतुर्भिर्भुजैः
शङ्खं चक्रधनुः शरांश्च दधती नेत्रैस्त्रिभिः शोभिता ।
आमुक्ताङ्गदहारकङ्कणरणत्काञ्ची रणन्नूपुरा
दुर्गा दुर्गतिहारिणी भवतु नो रत्नेल्लसत्कुण्डला ॥
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत मुहूर्त:
पंचांग के अनुसार, मार्च 06 को शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि सुबह 10:50 बजे से प्रारंभ होगी. इस तिथि की समाप्ति मार्च 07 को सुबह 09:18 बजे. उदया तिथि के अनुसार, मार्च 07 को मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जायेगा और इसी दिन मां दुर्गा की पूजा की जाएगी.
दुर्गा की पूजा में इस दुर्गाद्वात्रिंशन्नामावलि का पाठ मात्र सिद्धिदायक होता है –
दुर्गा दुर्गार्तिशमनी दुर्गाऽऽपद्विनिवारिणी ।
दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी ॥ १॥
दुर्गतोद्धारिणी दुर्गनिहन्त्री दुर्गमापहा ।
दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला ॥ २॥
दुर्गमादुर्गमालोका दुर्गमाऽऽत्मस्वरूपिणी ।
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता ॥ ३॥
दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी ।
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी ॥ ४॥
दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी ।
दुर्गमाङ्गी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी ॥ ५॥
दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गभा दुर्गदारिणी ।
नामावलिमिमां यस्तु दुर्गाया सुधी मानवः ॥ ६॥
पठेत् सर्वभयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ।
शत्रुभिः पीड्यमानो वा दुर्गबन्धगतोऽपि वा ।
द्वात्रिंशन्नामपाठेन मुच्यते नात्र संशयः ॥ ७॥
इति दुर्गाद्वात्रिंशन्नामावलिः समाप्ता ।

