
त्रयोदशी तिथि सभी तिथियों में श्रेष्ठ मानी गई है. यह तिथि शिव को अत्यंत प्रिय है और भगवान शिव के पूजा की विशेष तिथि है. ऐसा कहा गया है कि इस एक तिथि में प्रदोष काल में शिव पूजन सहस्रगुना फलदायक और मोक्ष दायक होता है. फाल्गुन महीने की कृष्ण त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह महीना शुक्र को धारण करने वाले भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. इस बार भौम त्रयोदशी है इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जायेगा. यह प्रदोष व्रत 25 फरवरी दिन मंगलवार को किया जायेगा. भौम प्रदोष व्रत को करने से कर्ज मुक्ति, भू सम्पत्ति की प्राप्ति, भौतिक उन्नति और व्यापार में वृद्धि होती है. इस प्रदोष व्रत से मंगल दोष का प्रभाव कम होता है. भौम प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजन सम्पन्न करें.
प्रदोष व्रत मुहूर्त –
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 25 फरवरी 2025 को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर होगी और अगले दिन 26 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. प्रदोष 25 फरवरी 2025 को भौम प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके ही पूजा करें. भगवान शिव का गंगाजल, दूध, दही और शहद से अभिषेक करें. अक्षत, चंदन, धतूरा और बेलपत्र से भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. पूजा में भावना का महत्व है. भावना से भगवान को जो कुछ भी अर्पित किया जाता है वह भगवान को प्राप्त होता है.