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पीपल न केवल सनातन हिन्दू धर्म में बल्कि बौध धर्म में भी है बहुत दिव्य और पवित्र माना गया है। वस्तु और ज्योतिष शास्त्र में पीपल के पेड़ का बहुत महत्व बताया गया है। सनातन व हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले सभी हिन्दू लोग इसकी विधिवत पूजा करते हैं। यह वृक्ष को पितरों से जोड़ कर देखा जाता है, यह उनसे बहुत गहरे सम्बन्धित है इसलिए मृत्यु के बाद हिन्दूओं के घंट पीपल वृक्ष पर ही बांधे जाते हैं। परंतु पीपल के वृक्ष को इतना खास व पावन क्यों माना जाता है? हिन्दू धर्म में पीपल के वृक्ष में विष्णु भगवान का वास माना गया है। श्रीमद्भगवत गीता के 10वें अध्याय के 26वें श्लोक में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, ‘‘मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूं।’’
मूले विष्णु: स्थितो नित्यं स्कन्धे केशव एव च। नारायणस्तु शाखासु पत्रेषु भगवान् हरि: ।। फलेऽच्युतो न संदेहः सर्वदेवै: समन्वितः । स एव विष्णुर्द्रुम एव मूर्तो महात्मभि सेवित पूण्यमूलः ।। यस्याश्रयः पापसहस्रहन्ता भवेनृणां कामदुधो गुणाढ़्हः ..।।

स्कंद पुराण के अनुसार- पीपल के पेड़ की जड़ में विष्णु जी, तने में केशव, शाखओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवता निवास करते हैं। पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु स्वरूप है। महात्मा इस वृक्ष की सेवा करते हैं और यह वृक्ष मनुष्यों के पापों को नष्ट करने वाला है। इसके साथ ही पीपल में पितरों और तीर्थों का निवास होता है। महात्मा पुरुष इस वृक्ष के पुण्यमय मूल की सेवा करते हैं। इसका गुणों से युक्त और कामनादायक आश्रय मनुष्यों के हजारों पापों का नाश करने वाला है।

वैज्ञानिक अनुसंधानों से पता चलता है कि पीपल ही एक मात्र ऐसा वृक्ष है जो रात-दिन प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन का विसर्जन करता है। इसकी छाया सर्दी में गर्मी प्रदान करती है तथा गर्मी में शीतलता देती है। पीपल प्राणवायु प्रदाता है। अत: जगत का पालक है। वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा यह भी सिद्ध हुआ है कि पीपल के पत्तों से संस्पृष्ट वायु के प्रवाह व ध्वनि से रोगों के कीटाणु धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं। वैदिक ग्रंथों के अनुसार इसके पत्ते, फल, छाल, सभी रोगनाशक हैं।
पीपल की पूजा के दो प्रमुख लाभ –
पितृदोष से मुक्ति मिलती है

पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए रोजाना पीपल की जड़ में जल अर्पित करना लाभकारी होगा। इसके साथ ही पीपल के पौधे लगाना शुभ होगा। रोजाना पीपल के पेड़ की पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है।

शनि दोष से मुक्ति मिलती है

शनिवार के दिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने और तेल का दीपक जलाने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या से भी छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही पीपल के पेड़ की परिक्रमा जरूर करें