
सनातन धर्म में वर्ष में कुल 24 प्रदोष व्रत हैं. प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि में किया जाता है. त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और उन्हें ही समर्पित है. इस वर्ष का अंत शनि प्रदोष व्रत से हो रहा है. शैव धर्म के अनुसार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शनिवार के दिन पड़ती है तो यह शिव पूजा के लिए बहुत उत्तम समय होता है. शनिवार को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि में प्रदोष व्रत करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. इस वर्ष का अंतिम पौष कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 28 दिसंबर को पड़ रहा है. जो मनुष्य शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव में हैं उन्हें प्रदोष व्रत रखना चाहिए और भगवान शिव का विधि पूर्वक पूजन करना चाहिए.
मुहूर्त –
पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदयशी तिथि 28 दिसंबर को 2 बजकर 26 मिनट से प्रारंभ हो रही है. इस तिथि की समाप्ति अगले दिन 29 दिसंबर को 3 बजकर 32 मिनट पर होगी. उदयातिथि के अनुसार शनि प्रदोष व्रत 28 दिसंबर शनिवार के दिन रखा जाएगा.
शनि प्रदोष के दिन करे शिव पूजन-
त्रयोदशी व्रत करने के लिए सुबह स्नान करके पहले संकल्प लेना चाहिए. शिव की पूजा संकल्प के बाद प्रारम्भ करनी चाहिए. शिवलिंग पर दूध, गंगाजल, शहद, फूल आदि शिव को अर्पित करते हुए शिव के स्तोत्रों का पाठ करना चाहिए. इस दिन शनिवार है इसलिए शनि के बीज मंत्र ॐ प्रां प्रेमं सः शनैश्चराय नमः. इसका जाप करना भी लाभदायक रहता है. शिव की पूजा और उनके पंचाक्षरी मन्त्र का जप करने के बाद वारेश के मन्त्र का जप करना अच्छा रहता है.