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पाप के क्षय से स्वर्ग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है. पाप से मुक्ति के लिए ही सारे धार्मिक प्रयोजन हैं. पाप के कारण हीआम जनता की वृद्धि नहीं होती, जनता घोर पापी है. यह व्रत आम जनता के पापों की निवृत्ति के लिए ही है. यदपि कि भारत के सबसे बड़े पापियों की सदैव वृद्धि होती रहती है. इन कम्पनियों के मालिक जो 600 रूपये किलो देशी घी बेच रहे हैं और जिसको देवता के समक्ष दीप में जलाते हैं या यज्ञ करते हैं वो महान पाप कर रहे हैं लेकिन उनकी सर्वत्र वृद्धि हो रही है.

स्पष्ट है अमूल, मधुसुदन, डाबर इत्यादि देशी घी 600 रूपये किलो का, देशी घी नहीं है. यह जनता को बेवकूफ बना कर लुटा जा रहा है और जहर खिलाया जा रहा है. यह 600 रूपये किलो का देशी घी वनस्पति और कुछ केमिकल का मिक्सचर है. जो हमने ट्वीट किया था वह अमूल घी के जलने के बाद बचा अवशेष है. यह पाप कर्म करके ये बनिया तो अरबपति हैं और साथ में इस पाप का कुछ धन बाबाओं को देते हैं तो वो भी करोड़पति हैं. बस जनता ही महान पापी है. खैर पूजा मुहूर्त और कथा दी जा रही है, ईच्छानुसार करें ..

पूजा मुहूर्त –
इस बार पापांकुशा एकादशी 25 अक्टूबर 2023 को है. पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 24 अक्टूबर 2023 को दोपरहर 03 बजकर 14 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 25 अक्टूबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी.

पद्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति सुवर्ण,तिल,भूमि,गौ,अन्न,जल,जूते और छाते का दान करता है,उसे यमराज के दर्शन नहीं होते. शास्त्रों के अनुसार केवल पापाकुंशा एकादशी का व्रत करने से ये सारे दान करने के समान फल मिलता है.

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा –

अर्जुन ने कहा- “हे जगदीश्वर! आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा इस व्रत के करने से कौन से फलों की प्राप्ति होती है? कृपया यह सब विधानपूर्वक कहिए”
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- “हे कुंतीनंदन! आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पापांकुशा है. इसका व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा व्रत करने वाला अक्षय पुण्य का भागी होता है.

इस एकादशी के दिन इच्छित फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए. इस पूजन के द्वारा मनुष्य को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. हे अर्जुन! जो मनुष्य कठिन तपस्याओं के द्वारा फल की प्राप्ति करते हैं, वह फल इस एकादशी के दिन क्षीर-सागर में शेषनाग पर शयन करने वाले भगवान विष्णु को नमस्कार कर देने से मिल जाता है और मनुष्य को यम के दुख नहीं भोगने पड़ते. हे पार्थ! जो विष्णुभक्त शिवजी की निंदा करते हैं अथवा जो शिवभक्त विष्णु भगवान की निंदा करते हैं, वे नरक को जाते हैं.
हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ का फल इस एकादशी के फल के सोलहवें भाग के बराबर भी नहीं होता अर्थात इस एकादशी व्रत के समान संसार में अन्य कोई व्रत नहीं है. इस एकादशी के समान विश्व में पवित्र तिथि नहीं है. जो मनुष्य एकादशी व्रत नहीं करते हैं, वे सदा पापों से घिरे रहते हैं. जो मनुष्य किसी कारणवश केवल इस एकादशी का भी उपवास करता है तो उसे यम के दर्शन नहीं होते.

इस एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य को निरोगी काया तथा सुंदर नारी और धन-धान्य की प्राप्ति होती है और अंत में वह स्वर्ग को जाता है. जो मनुष्य इस एकादशी के व्रत में रात्रि जागरण करते हैं, उन्हें सहज ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है. इस एकादशी के व्रत करने वाले मनुष्यों के मातृपक्ष के दस पुरुष, पितृपक्ष के दस पुरुष तथा स्त्री पक्ष के दस पुरुष, भगवान विष्णु का रूप धरकर व सुंदर आभूषणों से परिपूर्ण होकर विष्णु लोक को जाते हैं.

जो मनुष्य आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पापांकुशा एकादशी का विधानपूर्वक उपवास करते हैं, उन्हें विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य एकादशी के दिन भूमि, गौ, अन्न, जल खड़ाऊं, वस्त्र, छत्र आदि का दान करते हैं, उन्हें यम के दर्शन नहीं होते।दरिद्र मनुष्य को भी यथाशक्ति कुछ दान देकर कुछ पुण्य अवश्य ही अर्जित करना चाहिए. जो मनुष्य तालाब, बगीचा, धर्मशाला, प्याऊ आदि बनवाते हैं, उन्हें नरक के कष्ट नहीं भोगने पड़ते.जो पुरुष सोने , चांदी , भूमि , गौ , अन्न , जल , छतरी का दान करता हैं वह कभी यमलोक के दुःख को नहीं देखता.  वह मनुष्य इस लोक में निरोगी, दीर्घायु वाले, पुत्र तथा धन-धान्य से परिपूर्ण होकर सुख भोगते हैं तथा अंत में स्वर्ग लोक को जाते हैं। भगवान श्रीहरि की कृपा से उनकी दुर्गति नहीं होती।”