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ओटोमन साम्राज्य की स्थापना 13वीं सदी के अंत में एक कबीला के सरदार के पुत्र उस्मान ने किया था, यह इस्लामिक साम्राज्य सम्राट सुलेमान के काल में अपने उत्कर्ष पर पहुंचा और ओटोमन साम्राज्य दुनिया का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य बनकर उभरा. सम्राट सुलेमान के समय में ओटोमन साम्राज्य न केवल अपने भौतिक विकास और वैभव में बल्कि सांस्कृतिक स्तर भी अपने चरम पर था. सुलेमान के शासनकाल में ओटोमन साम्राज्य तीन महाद्वीपों तक फैला हुआ था और लगभग समूचे ईसाईयत पर इनका राज था. यह लेख इतिहास बताने के लिए नहीं लिखा गया है बल्कि यह बताने के लिए लिखा गया है कि कोई भी साम्राज्य धर्म और संस्कृति के केंद्र पर ही विकसित होता है क्योंकि यही वो तत्व है जो किसी समाज को एकसूत्र में बांधता है और किसी बड़े उद्देश्य की पूर्ति की दिशा में ले जाता है. जब कोई शासक बुद्धिजीवियों का सम्मान करता है और उनसे देशा निर्देश प्राप्त करके आगे बढ़ता है तो वो वह महान बनता है. भारत का मौर्य साम्राज्य, गुप्त काल, सातवाहनों का शक्तिशाली साम्राज्य, मुगल साम्राज्य, विजयनगर साम्राज्य और मराठा साम्राज्य इसके उदाहरण हैं.

उस्मान ने इस्लाम और अपनी “बे” कबिलाई संस्कृति के केंद्र पर ही तुर्की के अन्य कबिलाओ को एकसूत्र में बाँधा और अपनी सारी राजनीतिक मुहीम को अंजाम दिया. ओटोमन सम्राट हों या मुगल सम्राट दोनों में इस बावत एक समानता है कि दोनों की रगों में इस्लाम और उनकी मूल कबीलाई संस्कृति रचती बसती थी. उस्मान ने तुर्की के जनजातीय समूहों और बीजान्टिन लोगो का इस्लाम में धर्मांतरण का प्रारम्भ किया था जो ओटोमन के विस्तार और दिग्विजय के साथ तलवार की धार पर आगे बढ़ा. मुगल सल्तनत ने भी इस्लाम और अपनी संस्कृति के लिए वही किया जो ओटोमन सम्राटों ने किया, दोनों के पीछे मार्गदर्शन के लिए इस्लाम के बुद्धिमान धर्म नेता खड़े थे. ओटोमन साम्राज्य के सम्राट धार्मिक थे इसलिए उनके व्यक्तिगत जीवन पर इस्लाम का गहरा प्रभाव था. उन्होंने ज्ञान विज्ञान, साहित्य और ज्योतिष को बढ़ावा दिया और उसका उपयोग भी किया. ओटोमन सम्राटो ने ज्योतिष और जादुई शक्तियुक्त वस्तुओं; यंत्र, तावीज़, गंडा इत्यादि का अपने उत्थान के लिए भी खूब प्रयोग किया. उनके दिन प्रतिदिन के प्रयोग की चीजो पर जादुई शक्तियुक्त कुरान की आयतें, मन्त्र, सिम्बल, पवित्र चिन्ह उकेरे हुए रहते थे, उनके कुर्तों, जैकेट, टोपी, युद्ध में पहने जाने वाले कवच पर भी ज्योतिष और कुरान की आयतें उत्कीर्ण होती थीं. मुगल सम्राट भी जादुई शक्ति, मिरेकल, ज्योतिष इत्यादि पर विश्वास करते थे. मुगल सम्राट जहांगीर के कवच पर उत्कीर्ण कुरान की जादुई आयतें मिलती हैं. सम्भवत: ये उन्हें पानी में घोलकर पीते भी थे.

मुगल सम्राट जहांगीर का कवच

ओटोमन सम्राटों के कुर्ते, वस्तुतें , कवच इत्यादि Topkapi Palace Museum में सुरक्षित रखे गये हैं. उनमे अनेक कुर्तों पर ज्योतिष के सन्दर्भ हैं, अनेक कुर्ते ऐसे भी हैं जिनपर यंत्र उत्कीर्ण हैं जिनमें ज्यादातर इस्लामिक यंत्र हैं. ओटोमन सम्राज्य के सबसे शक्तिशाली राजा सम्राट सुलेमान के कुर्तो, उसके द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं पर भी ज्योतिष और यंत्र इत्यादि अंकित पाए गये हैं. ओटोमन काल में रहस्यों को जानने वाले अन्य इल्म की तरह ही ज्योतिष और एस्ट्रोनोमी भी एक इल्म था और इसे इल्म-ई-ए-फलक (स्वर्ग का ज्ञान ), इल्म-ई-अबकम-ई-नुकुम ( नक्षत्रों का निर्णय करने वाला ज्ञान ) कहते थे. ज्योतिषियों को वे मुनाझिम या मुनाजिम कहते थे . राजदरबार में सभी मंत्रियों के अपने मुनाजिम होते थे जिनका राजकीय नाम ‘मुनाजिम-बासी था. वास्तव में ओटोमन सम्राटों, मंत्रियों और जनता के बीच ज्योतिषियों की काफी पहुँच थी और यह कोई नई बात नहीं थी. ये एल्प अपने कबीलाई दौर में भी छोटे बड़े युद्ध के प्रारम्भ से पहले ज्योतिषियों की सलाह लिया करते थे.

God is the Merciful, the Compassionate

This page from an anthology of Persian poetry illustrates a poem about the moon as it enters the houses of all twelve zodiac signs. In the three scenes here, the moon is shown visiting Gemini, depicted as two youths with joined, reptilelike tails, then in the house of Cancer, a large, scaly crab, and finally seated next to the lion of Leo.

The full zodiacal cycle is depicted in the twelve medallions on the facets of this vessel.

नीचे कुछ कुर्तों की तस्वीरें दी जा रही हैं जिसमे यन्त्रं और ज्योतिष के मोटिफ उत्कीर्ण किये हुए हैं, ये कुर्ते ओटोमन सम्राटों या दरबारियों द्वारा पहने गये थे और Topkapi Palace म्यूजियम में सुरक्षित हैं.

Such motif of hexagon is universal and found in pre-Christian culture also hence it can’t be said that these are of Hindu origin.

यंत्र कुर्ता जिस पर कुरान के सुरे लिखे हैं.

मैंने गूगल पर खोजने की कोशिस की लेकिन मुझे किसी ओटोमन सम्राटों द्वारा पहना गया या प्रयुक्त कोई ऐसी चीज नहीं मिली जिन पर श्री जैसा यंत्र उत्कीर्ण किया गया हो. कुछ के मतानुसार सम्राट सुलेमान श्री यंत्र उत्कीर्ण कुर्ता भी पहनता था, इसे राज दरबार के प्रसिद्ध दरविश, इतिहासकार और ज्योतिषी मुनाजिम बसी अहमद डेडे ने बनवाया था. यह युद्ध में विजय के लिए बनाया गया यंत्र था. यह तो इतिहासकारों को ज्ञात है कि सम्राट विजय के लिए कुरान के सूरा अंकित यंत्र पहनता था. वास्तव में षटकोण (Hexagon) अतिप्राचीन सिम्बल है, पश्चिम की संस्कृति में यह यहूदियों द्वारा मूसा के पूर्व से प्रयुक्त किये जा रहे हैं. बाईबिल में वर्णित सम्राट सोलोमन की मोहर पर यही सिम्बल उत्कीर्ण था.

.ओटोमन सम्राटों द्वारा प्रयुक्त चीजों पर ज्योतिष के मोटिफ, कुरान के सूरे के साथ अंक ज्योतिष जैसे कुछ मोटिफ मिलते हैं और क्योंकि ज्यामिति में परसिया सबसे अग्रणी था इसलिए ज्यामितीय आकृतियाँ भी मिलती हैं. कुरान की आयतों को ज्यामितीय आकृतियों में बंद कर वे जादुई यंत्र का निर्माण करते थे जैसे हिन्दू मन्त्रों को वृत्त इत्यादि ज्यामितीय आकृतियों में घेर कर यंत्र बनाते हैं. ज्योतिष में वे काफी अग्रणी थे इसलिए उनके द्वारा ज्योतिष का प्रयोग कोई नई बात नहीं है. ओटोमन दरबार में नियुक्त ज्योतिषी राजाओं, मंत्रियों और अधिकारीयों की जन्म कुण्डलियाँ बनाते थे, साथ में ऐसी कुंडलियाँ भी म्यूजियम में संरक्षित हैं जो किसी विशेष यात्रा, युद्ध, विवाह, सन्तति इत्यादि के लिए भी बनाई गई थीं .

इस्लामिक जगत में ज्योतिष कोई नया प्रवेश नहीं है, बेबिलोनियन और हेलेनियन लोगों द्वारा बनाये गये ज्योतिष के शुक्र ग्रह के टेबलेट BC 1700 के मिलते हैं. यह टेराकोटा में बनाया गया टेबलेट पहला ऐसा पट्ट है जिससे शुक्र ग्रह की राशि चक्र में स्थिति, उसके उदय अस्त की जानकारी प्राप्त होती है. यह टेबलेट हेलेनियन विद्वानों का ज्योतिष की वैज्ञानिक दृष्टि को भी सामने लाता है. पर्सिया 9वीं शताब्दी में अबू मशहर(Abu Ma’shar al-Balkhi) बहुत दिग्गज ज्योतिषी के रूप में प्रसिद्ध था.

तुर्की का ज्योतिषीय ज्ञान का इतिहास बहुत प्राचीन है. 1st सेंचुरी 14 जुलाई 109 bc का यह horoscope विश्व इतिहास का पहला पत्थर पर लिखित दस्तावेज है. चन्द्रमा सिंह राशि में है और चार प्रमुख नक्षत्र लाल स्टार में अंकित हैं. तारों की यह स्थिति पुन: 25000 साल बाद आएगी .


प्राचीन तुर्की 4000 BC में ज्योतिष के ऊपर दिए गये चित्र आश्चर्यजनक साक्ष्य हैं जो ब्रिज ऑफ़ याफेस पर बने हैं. यहाँ नौ शिलाखंडों पर नौ ग्रहों की उच्च राशि में स्थिति दिखाई गई है . भारत दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृतियों में एक है लेकिन यहाँ हमे 500 BC तक का भी ऐसा कोई ज्योतिषीय चिन्ह प्राप्त नहीं होता. हमारा बहुत लम्बा काल खंड पुराणिक गपोड़शंख में बीत गया है.