Spread the love

समुद्रमंथन में जब अमृत निकला तो इसे पाने के लिए देव-दानवों में झगड़ा होने लगा. इस झगड़ा को खत्म करने के लिए विष्णु का मोहिनी अवतार हुआ. जब कतार में बैठे देव-दानवों के बीच मोहिनी ने अमृत बाँटना शुरू किया तो पहले उन्होंने देवताओं की तरफ से बाँटना शुरू किया. यह देख दानवों में सिहिंका पुत्र स्वरभानु देवता का भेष बदल कर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया. यह सूर्य और चन्द्र ने देख लिया और मोहिनी की तरफ देख कर स्वरभानु की तरह इंगित किया. तब तक स्वरभानु अमृत की कुछ बुँदे पी चूका था. विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. अमृत के कारण स्वरभानु का धड़ और सिर दो अलग अलग स्वतंत्र अस्तित्व के राहु और केतु नाम के दानव बन गये. अमृत के कारण ही इन दानवों को बाद में ग्रह की पदवी दी गई. विष्णु ने जब सुदर्शन चक्र से सिर काटा तो खून की कुछ बूंदे नीचे गिर गई थी. ऐसा कहा जाता है कि खून की उन्हीं बूंदों से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई. इनमे राहु का तामसी प्रभाव है. इसी वजह से वैष्णव इसका सेवन नहीं करते हैं. प्याज और लहसुन की गंध का कारण भी तमस है.
इसका आयुर्वेद में भी यही कारण बताया गया है. आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है – सात्विक, राजसिक और तामसिक.

सात्विक: शांति, संयम, पवित्रता और मन की शांति जैसे गुण
राजसिक: वासना, जुनून, अति सक्रियता, बेचैनी और प्लेजर जैसे गुण
तामसिक: प्रमाद, आलस्य, क्रोध, अहंकार और विनाश जैसे गुण

प्याज और लहसुन तामसिक की श्रेणी में आते हैं. ऐसा माना जाता है कि इन्हें ज्यादा खाने से व्यक्ति के व्यवहार में तामसिक प्रभाव बढ़ जाता है. गीता में तामसिक मनुष्यों को अधोगामी कहा गया है. प्रमाद, अज्ञानता, क्रोध, मद इत्यादि पतन का कारण होते भी हैं.

वहीं स्वामी विवेकानंद का मानना है कि जिनकी बुद्धि का विकास हो गया है उनको कोई भी तामसिक भोजन प्रभावित नहीं करता. उन्होंने इसी आधार पर नॉन-वेज फ़ूड को खाने में कोई बुराई नहीं देखी. एक वाकया चैतन्य महाप्रभु का भी भोजन के सम्बन्ध में लिखित है. एक बार उन्हें काफी गरिष्ठ भोजन करते देख किसी ने पूछ लिया “गोस्वामी जी, क्या यह भोजन रजोगुण की वृद्धि कर, सेक्स को नहीं बढ़ाएगा ?” तब उन्होंने सिंह का उदाहरण देते हुए कहा -“शेर प्रतिदिन मांस भक्षण करता है लेकिन सेक्स तो वह साल में अपने एक सीजन में ही एकदो बार करता है ? उसकी सेक्स में वृद्धि नहीं होती!” उस प्रश्नकर्ता का मुख बंद हो गया.