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जब-जब धरती पर आसुरी शक्तियों की वृद्धि होती है और भगवदभक्त तथा जनता पीड़ित होती है तब-तब भगवान विष्‍णु अवतार लेकर असुरो का सम्हार करते हैं. भगवान विष्‍णु के चौथे अवतार नृसिंह भगवान हुए थे जिन्हें एक पूर्ण अवतार माना जाता है. भगवान का यह अवतार अनोखा था, भगवान सर्वशक्तिशाली हैं वे कोई रूप धारण कर प्रकट हो सकते हैं. उन्होंने हिरण्‍यकश्‍यप जैसे दैत्‍य का संहार करने के लिए आधे नर और आधे सिंह अवतार धारण किया था. हिरण्यकश्यप को यह वरदान था कि उसे न रात में मारा जा सकता है, न दिन में मारा जा सकता हैं, न मनुष्य उसे मार सकता है न पशु उसे मार सकता है, न वो घर के बाहर मारा जा सकता है और न घर की भीतर मारा जा सकता है. भगवान विष्णु ने उसे संध्या समय, घर के चौखट पर और आधे सिंह आधे नर रूप में वध किया था. जिस दिन भगवान विष्‍णु ने यह अवतार लिया था, उस दिन वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्दशी थी. पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में भी शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को ही नृसिंह जयंती का वर्णन है. नृसिंह भगवान वैष्णव सम्प्रदाय के एक प्रमुख तांत्रिक देवता हैं. इनकी एक घोर तांत्रिक देवता के रूप में इनकी उपासना प्राचीन काल से की जा रही है. आदि शन्कराचार्य के शिष्य सुरेश्वराचार्य नृसिंह के सिद्ध उपासक थे और उन्होंने गुरु की रक्षा के लिए अवतार लेकर कापालिक का वध कर दिया था.

दक्षिण भारत में नृसिंह भगवान के अनेको मन्दिर हैं और नृसिंह जयंती पिछले चार हजार साल से भी ज्यादा समय से मनाया जा रहा है. सबसे पुराना हेमाचला लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर तेलंगाना के वारंगल जिले के मल्लूर में स्थित है. यह मंदिर 4000 वर्ष से अधिक पुराना है. कर्नाटक का नुग्गेहल्ली का लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर 13वीं सदी का मंदिर है जो होयसल सम्राज्य के दौर का मन्दिर है. यह भी दक्षिण के सुंदर मन्दिरों में एक है. ऐसे अनेक नृसिंह भगवान के मन्दिर हैं. बिहार में मान्यता है कि बिहार के पूर्णिया जिले में नृसिंह भगवान का अवतार हुआ था. मंदिर में वह स्‍तंभ आज भी मौजूद है जिसमें से नृसिंह भगवान प्रकट हुए थे. उत्तर प्रदेश में भी चार नृसिंह मन्दिर हैं जो दिव्यदेशम मन्दिरों के अंतर्गत आते हैं..

नृसिंह जयंती पूजा मुहूर्त –

पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 21 मई शाम 05:40 पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 22 मई शाम 06:45 पर होगा. नरसिंह जयंती के दिन नरसिंह भगवान की उपासना संध्याकाल में की जाती है. इसलिए भगवान की जयंती 21 मई 2024, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन पर पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 04:24 से शाम 07:09 के बीच रहेगा.