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प्रकृति में कई ऐसे पेड़-पौधे मौजूद है जो औषधिय गुणों से भरपूर हैं. कुछ दुर्लभ भी नहीं हैं आसपास आसानी से मिल जाते हैं. इन्हीं में एक एक औषधि है -निर्गुण्डी जो गाँवों में आसानी से मिल जाती है. निर्गुण्डी को कफ और वात नाशक औषधि माना जाता है. इसका इस्तेमाल करके आसानी से अनेक रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है.

निर्गुण्डी सफेद, नीले और काले रंग के भिन्न-भिन्न फूलों वाली होती है. इसके पौधे खुद की उत्पन्न होते हैं. इसके पत्तो को मसलने में एक प्रकार की दुर्गन्ध उत्पन्न होती है. निर्गुन्डी का वानस्पतिक नाम : Vitex negundo है. हिन्दी में इसे संभालू/सम्मालू, शिवारी, निसिन्दा शेफाली, तथा संस्कृत में इसे सिन्दुवार के नाम से जाना जाता है. इसकी झाडी १० फीट तक ऊंचे पाए जाते हैं. संस्कृत में इसे इन्द्राणी, नीलपुष्पा, श्वेत सुरसा, सुबाहा भी कहते हैं. राजस्थान में यह निनगंड नाम से जाना जाता है. तंत्र ग्रंथों में इसे देवी रूप माना गया है. इस औषधि को पुष्य या उत्तर भाद्रपद या शतभिषा नक्षत्र में उखाड़ना चाहिए. ज्योतिष ग्रन्थों में भी इस औषधि का वर्णन मिलता है.

विधि– इसको औषधि बनाने के लिए 18-12-16 तोला का अनुपात होना चाहिए अर्थात निर्गुन्डी का चूर्ण 18 तोला , घी 12 तोला और शहद 16 तोला होना चाहिए. सबको एकसाथ मिला लें. और कांच के बर्तन में 1 महीने तक धान के ढेर में रखें. उसके बाद उसे निकाल उसका पूजन करें और कन्या भोजन कराएँ. फिर इसका सेवन 2 तोला के हिसाब से करें. इसके सेवन से दीर्घायु, बल और वीर्य की वृद्धि होती है. अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है.

निर्गुण्डी के रस और चूर्ण का सेवन किया जाता है. इसलिए अगर आप रस का सेवन कर रहे हैं तो 10-20 मिली से ज्यादा न करें. इसके साथ ही पाउडर 3-6 ग्राम से ज्यादा न करें.

निर्गुण्डी के कुछ सामान्य रोगों में फायदे

सिर दर्द से दिलाए छुटकारा

निर्गुण्डी  के पत्तों को लाकर पीस लें. इसके बाद सिर पर इसका लेप लगाए. इसके आपको लाभ मिलेगा. इसके अलावा निर्गुण्डी के फल के 2-4 ग्राम पाउडर लेकर दिन में तीन बार शहद के साथ खा लें.

मुंह में छाले
अगर आपके मुंह में छाले हैं तो निर्गुण्डी के पत्तों को पानी के साथ उबाल लें. इसके बाद इस पानी से कुल्ला करें. इससे आपको लाभ मिलेगा.

पेट संबंधी समस्या
अगर आप हमेशा पेट दर्द, एसिडिटी आदि समस्या से परेशान रहते हैं तो निर्गुण्डी के पत्तों को 10 मिलीलीटर रस में 2 दाने काली मिर्च और थोड़ा सा अजवाइन का पाउडर मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें. इससे आपको लाभ मिलेगा.

जोड़ों के दर्द के लिए
जोड़ों के दर्द के लिए निर्गुण्डी का काढ़ा काफी कारगर साबित हो सकता है। इसके लिए एक गिलास पानी में 10-12 निर्गुण्डी की पत्तियां डालकर उबाले। जब पानी आधा बच जाए तो इसका सेवन करें। 

स्लिप डिस्क 
निर्गुण्डी स्लिप डिस्क की समसया से छुटकारा दिलाने में काफी कारगर है। आयुर्वेद के अनुसार निर्गुण्डी में वात दोष को शांत करने के गुण पाए जाते हैं।.

साइटिका का दर्द
निर्गुण्डी के रस में बराबर मात्रा में कैस्टर ऑयल मिलाकर इसका इस्तेमाल करें. इससे कमर दर्द की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।  इसके अलावा निर्गुण्डी के पत्तों को तेल के साथ पकाकर इससे मालिश करें. इससे भी आपको लाभ मिलेगा। 

मोच आने पर
निर्गुण्डी के पत्तों को पीसकर इसे मोच वाली जगह पर लगाकर ऊपर से पट्टी बांध लें. इससे आसानी से आपकी सूजन के साथ-साथ दर्द भी गायब हो जाएगा.

बुखार 
निर्गुण्डी के 20-21 पत्तों को 2 गिलास पानी में उबाल लें. जब पानी एक चौथाई बचें तो इसमें 2 ग्राम पिपली का पाउडर डाल दें. इसके बाद इसका सेवन करें. इसके सथ ही मलेरिया के बुखार या सर्दी के कारण छाती में होने वाले जकड़न से छुटकारा पाने के लिए निर्गुण्डी के तेल की मालिश करें.