नेहा सिंह राठौर का जन्म बिहार के कैमूर जिले मे एक मध्यमवर्गीय परिवार में साल 1997 मे हुआ है. नेहा अन्य भोजपुरी गायकों से हट के हैं. ज्यादातर भोजपुरी गायक मऊगाई और छिनरई वाले गीत गाते हैं, यूट्यूब पर तो गजब फूहड़पन पर उतर आए हैं. कोई अच्छा गायक बहुत करता है तो भरत शर्मा व्यास जैसा निकल जाता है. भक्ति लाइन में निर्गुण गाने वाले भोजपुरी के अनेक प्रसिद्ध कलाकार हुए हैं. नेहा सिंह सबसे अलग हैं, वे अपने लोकगीतों से जनता की आवाज उठाती हैं. लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं है, उन्होंने बहुत सुंदर लोकगीत हिन्दू पर्व और त्यौहारों को लेकर भी गायें हैं जिन्हें लाखों की संख्या में सुना गया है.
नेहा राठौर एक पब्लिक फिगर हैं, इनके गीत जनता की आवाज बन चुके हैं. उनका एक लोकगीत “इलाहाबाद यूनिवर्सिटी” पर बना खूब वायरल हुआ, वे खुद विवादों में रहीं. उनका “यूपी में का बा” और गाना “रोजगार देबा कि करबा ड्रामा” यूट्यूब पर जबर्दस्त वायरल रहा. योगी सरकार पर व्यंग करते हुए गाना “यूपी में का बा” के माध्यम से उन्होंने कोरोना काल की व्यवस्था और हाथरस काण्ड जैसे गंभीर मसले उठाये थे.
नेहा के गीत, गुलाम मानसिकता के हिंदुत्व फासिस्टों कीआँखों में चुभते हैं. नेहा अपने गीतों के माध्यम से मंहगाई , भ्रष्टाचार, गरीबी और सरकार की नाकामियों पर सवाल उठाती हैं. उनके गीतों का लहजा काफी व्यंगात्मक रहता हैं. उनका तेवर लोगों बहुत पसंद आ रहा है. नेहा की भोजपुरी भाषा और संस्कृति पर जबर्दस्त पकड़ है. वे अपना गीत स्वयं लिखती हैं. सोशल मीडिया पर उनके काफी चाहने वाले हैं.
यहाँ नेहा सिंह के कुछ चुनिन्दा गीत दिए जा रहे हैं –

