नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महान और पवित्र पर्व है लेकिन यह गुजरात में दुराचार और सेक्स का पर्व बन जाता है. श्रीमद भागवत महात्म्य में लिखा है कि गुजरात में हिन्दू धर्म का अंग-भंग हो जायेगा, इसका नाश होगा. यह पिछले दो दशकों से अनुभव में आया है. मोरारी बाबु जैसे गुजराती ने श्मशान में शादी कराई, कृष्ण को दारुबाज कहा, आशाराम के आश्रम में बच्चों के बलात्कार हुए- ऐसी अनेक घटनाएँ हुईं. पिछले दो दशकों में गुजरात में हर नवरात्रि में कंडोम की बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है. आंकड़ों के साथ हुई एक स्टडी में गर्भपात के भी चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं. गरबा मूलभूत रूप से गर्भ से बना है. गरबा की शुरुआत में एक कच्चे मिट्टी के घड़े को फूलों से सजाया जाता है. इस घड़े में कई छोटे-छोटे छेद होते हैं. इसके अंदर दीप प्रज्वलित कर रख देते हैं और माता का आह्वान किया जाता है. इस दीप को ही गर्भदीप कहते हैं. यह मातृ शक्ति के सम्मान का पर्व है लेकिन इस गरबा में कितने ही गर्भों का गर्भपात हो जाता है .. सड़कों पर गर्भ बिखर जाते हैं. ऐसे बीमार समाजों के बारे मुक्तिबोध लिखते हैं –
गहरे कराहते गर्भों से
मृत बालक ये कितने जन्मे,
बीमार समाजों के घर में !
बीमार समाजों के घर में
जितने भी हल है प्रश्नों के
वे हल, जीने के पूर्व मरे । उनके प्रेतों के आस-पास
राष्ट्रवादियों (शब्द चेंज) की गिद्ध-सभा.
आँखों में काले प्रश्न-भरे बैठी गुम-सुम ।
शोषण के वीर्य-बीज से अब जनमे दुर्दम
दो सिर के, चार पैर वाले राक्षस-बालक ।
विद्रूप सभ्यताओं के लोभी संचालक ।
मानव की आत्मा से सहसा कुछ दानव और निकल आये !
गुजरात डांडिया प्रेमियों का केंद्र है. यह मूलभूत रूप से गुजरात और राजस्थान में ही प्रसिद्ध रहा है. आधुनिक समय में यह धीरे धीरे अन्य शहरो में भी फैला है और इसका आयोजन किया जाता है.

नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र में लगातार 9 दिनों तक डंडियां बजाते, नौ की तरह सजते-संवरते हैं और रात भर नाचते रहते हैं. इस समय लडके लड़कियां और पुरुष-स्त्री डांडिया के रात्रि समारोहों में देर तक जागते हैं और मौज मस्ती करते हैं. यह युवाओं के लिए एक हुक-अप मंच बन जाता है. इसमें वहां के बनिया खूब लाभ उठाते हैं. इस मौके का फायदा वहां के बिजनेसमैन NRIs से भी मौज करा कर खूब उठाते हैं. मोदी के सीएम रहते नवरात्रि डांडिया अमेरिकी- NRIs का प्रमुख उत्सव बन गया था. इसको इन्वेस्टमेंट आकर्षित करने के लिए विशेष रूप से आयोजित किया जाता था.
इस उत्सव का खूब फायदा सेलिब्रिटी कलाकार और वेश्याएं भी उठाती हैं. लेकिन इस मौके का सबसे ज्यादा फायदा कंडोम कंपनियों को होता है जो ग्राहकों को लुभाने के लिए नए प्रमोशनल ऑफर लेकर आती हैं. जब उत्सव शुरू होते हैं तो वे नई संचार रणनीतियाँ जारी करते हैं. रिपोर्टों के अनुसार, अधिकांश कंडोम कंपनियां गुजरात को बिक्री का ‘हॉट स्पॉट’ मानती हैं जो युवाओं पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करती हैं. इस समय अवैध मदिरा और दारु भी खूब बिकती है. दारु-ड्रग कम्बीनेशन सेक्स और मौज मस्ती को कई गुना बढ़ा देता है. एक सर्वे के मुताबिक, गुजरात में नवरात्रि के दौरान कंडोम की बिक्री 50% तक बढ़ जाती है. कंडोम कंपनियां बिक्री को और अधिक बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करती हैं और वे अपने संभावित ग्राहकों को जोड़े रखने के लिए छूट और यहां तक कि उपहार भी पेश करती हैं. शायद यह भी एक ट्रिगर है.
दूसरी ओर, लोग इसे गुजरातियों का महान सांस्कृतिक पाखंड भी कह सकते हैं. गुजरात में नवरात्रि गरबा को वन नाइट स्टैंड उत्सव के रूप में भी आलोचनाएँ होती हैं. न केवल NRIs के लिए बल्कि तमाम लोकल के लिए भी यह वन नाइट स्टैंड की तरह ही होता है. लेकिन बिजनेस सबसे पवित्र हैं, यह देश, धर्म इत्यादि से बहुत ऊपर है. मसलन नीचे गुजरात का हिंदुत्व जिसने विगत 9 साल देश में हिन्दू-मुस्लिम करके हिंसा और घृणा की आग में झोक कर सत्ता में मौज किये. हर भाषण में पाकिस्तान का नांम लेने वाला वही हिंदुत्व पाकिस्तान को “आईये आपका इंतज़ार था .. देर लगी आने में तुमको शुक्र्र हैं फिर भी आये तो..” गा कर गरबा ड्रेस में आरती कर रहे .. क्यों? अमित शाह के पुत्र जय शाह को रूपये कमाने हैं.. बिजनेस ! रुपया !
NOTE-input has been taken from various news websites

