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नवरात्रि या किसी अनुष्ठान में खंड ज्योति का हिंदू धर्म में बहुत महत्त्व है. खासकर नवरात्रि में देवी पूजन में अखंड ज्योति जलाई ही जाती है और पाठ बैठाया जाता है. अखंड ज्योति घर के मंदिर में लगाने से मनोकामना पूर्ण होती है और आत्मप्रकाश की उपलब्धि होती है. अखंड ज्योति कैसे जलाते हैं और किन नियमों का पालन करना चाहिए इस बारे में हमारे शास्त्रों में भी बताया गया है. शारदीय नवरात्रों में आप अखंड ज्योति जलाएंगे तो ये नियम जान लें.

अखंड ज्योति कास्य, पीतल, ताम्बे के दीप पात्र में जलाया जाता है क्योंकि ये पात्र शुद्ध माने जाते हैं. कुछ लोग चादी का पात्र भी इस्तेमाल करते हैं. यदि ये पात्र न हों तो चिंता करने की जरूरत नहीं है, मिट्टी का दीप-पात्र भी उतना ही फलदायी है. मिट्टी शुद्ध मानी जाती है, इसलिए मिट्टी का दीपक आप बेहिचक पूजा में प्रयोग कर सकते हैं. अखंड ज्योति के इतर विशेष पूजन में आटे का बना दीपक बहुत शुभ माना जाता है. आटे में सिन्दूर मिला कर रक्त बना लें और गूँथ कर त्रिकोणा’कार दीपक बनाकर सूखा लें. इस दीपक को देवी को निवेदित करने से उनकी प्रसन्नता होती है.

अगर मिट्टी का दीपक जला रहे हैं, तो बस जलाने से 24 घंटे पहले इसे साफ जल से भरे किसी बरतन में पानी में पूरी तरह डुबोकर रखें.मिट्टी के बरतन सोख्ते की तरह काम करते हैं इसलिए मिट्टी के दीपक सारा तेल या घी सोख लेते हैं.

अखंड ज्योति का मतलब दीप अखंड जलना चाहिए, पुरे अनुष्ठान में दीया कभी बुझना नहीं चाहिए. इसके लिए इसकी बाती विशेष रूप से रक्षासूत्र से बनाई जाती है. सवा हाथ का रक्षासूत्र लेकर इसे विधिवत पूर लें और इसे बाती की तरह दीये के बीचों बीच रखें. दीपक को बुझने से बचाने के लिए आप एक दूसरी बाती भी बना कर रखे और जब पहली खत्म होने लगे तो पहली बाती में जोड़ दे. अगर आपकी अखंड ज्योति बुझ गयी है तो क्षमा मांग कर फिर से जला दें. पूजा काल में दीपक का बुझना शुभ नहीं माना जाता है. अखंड ज्योति में थोड़ी सावधानी की जरूरत पडती है. यदि ज्योति खंडित नहीं जला सकते तो जितने समय तक का अनुष्ठान है उतने समय तक दीप जलाएं.

किसी भी पूजा में दीपक के लिए शुद्ध गाय का घी का प्रयोग किया जाना श्रेष्ठ है लेकिन गाय के घी की उपलब्धि नहीं होती, ऐसे में अच्छी क्वालिटी का देशी घी या तिल या सरसों का तेल का प्रयोग कर सकते हैं. शास्त्रानुसार अगर घी दीपक जलायें, तो यह देवी की दाईं ओर रखें, लेकिन अगर दीपक तेल का है तो इसे बाईं ओर रखें. अखंड ज्योति का यह दीया कभी खाली जमीन पर नहीं रखा जाता. इसलिए दीये को रखने के लिए सुंदर अष्टदल बनाएं. यह अष्टदल आप गुलाल या रंगे हुए चावलों से बना सकते हैं. पीले या लाल चावलों से भीअष्टदल बनाया जा सकता है या सिर्फ सिंदूर से भी बनाया जा सकता है. दीपक को आसन पर विराजमान करें और उसका पंचोपचार पूजन करें. दीप जलाकर मन्त्र बोलें –

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तुते ॥
दीप देवी महादेवी शुभं भवतु में सदा ।
यावत्तपूजा समाप्ति: स्यात्तावत्प्रज्वल स्थिरा भव।।