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हिंदू शास्त्रों के अनुसार हिन्दू नववर्ष अर्थात नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सम्वत्सर या वर्ष के 5 भेद होते हैं, सौर, सावन, चांद्र, बार्हस्पत्य और नाक्षत्र. एक सम्वत्सर में 12 मास होते हैं. संवत की शुरुआत 57 ईसवी पूर्व में हुई थी, उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया था. इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ हुआ इसलिए इसे विक्रम सम्वत कहा जाता है. राजा विक्रमादित्य की तरह शालिवाहन ने भी हूणों और शकों को परास्त कर भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने के लिए यही दिन चुना था और इस दिन शक संवत की स्थापना की थी. भागवत और विष्णुपुराण के अनुसार युधिष्ठिर का इसी दिन अर्थात चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को राज्याभिषेक हुआ था. चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा ‘वर्ष प्रतिपदा’ कहलाती है. इस दिन सूर्योदय से हिन्दू नया वर्ष प्रारंभ होता है. इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था.

पिछला सम्वत्सर या सम्वत 2080 था. संवत्सर 60 होते हैं, जिनमें पांच पांच वर्ष के पांच चक्र माने गये हैं. पिछला 50वां नल या अनल सम्वत्सर बीता है. नया नव संवत 2081 की शुरुआत चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 9 अप्रैल से होगी. यह पिंगल नामक संवत्सर है. कुछ पंचांग में शक सम्वत लेते हैं इसलिए उनका सम्वत्सर क्रोधी नाम सम्वत्सर होगा. नया सम्वत्सर मंगलवार से शुरू होगा, इसलिए वारेश के अनुसार मंगल राजा और मेषांक के आरंभ दिन शनिवार होने से शनि मंत्री पद पर रहेगा. मेषांक अर्थात जिस दिन सूर्य मेष राशि में गोचर करता है. सूर्य मेष राशि में 13 अप्रैल शनिवार को गोचर करेगा इसलिए शनि इस वर्ष का मंत्री होगा.

पंचांग के अनुसार संवत 2081 में 8 अप्रैल को सोमवार की रात 11:50 मिनट पर प्रतिपदा तिथि का शुभारंभ हो जाएगा. सोमवार का स्वामी चंद्र और उनके मंत्री शनि ही होंगे. लेकिन उदया तिथि की मान्यता होने से मंगलवार के दिन के सूर्योदय से नवसम्वत्सर गिना जाएगा. मंगलवार से प्रारम्भ होने वाले पिंगल नामक सम्वत्सर में अतिवृष्टि,अनावृष्टि, फसल में टिड्डी व चूहे लगना,पक्षियों से हानि,अन्न का महंगा होना, जल की कमी,तथा देश पर दूसरे देश का आक्रमण, प्रजा में अनावश्यक भय, दंगा- फसाद की आशंका रहती है. राजा मंगल होने से अग्नि, बम कांड, हिंसक प्रदर्शन, वायुयान की दुर्घटना हो सकती है. शनि के मंत्री होने से सत्ता पक्ष के लोग निरंकुश रहेंगे.