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अक्सर यह देखा जाता है कि बड़ी प्राकृतिक आपदाओं के समक्ष मनुष्य लाचार हो जाता है, उसकी सारी वैज्ञानिक बुद्धि धरी रह जाती है. मनुष्य कुछ भी कर सकने में असक्षम हो जाता है. डॉक्टर अक्सर अपनी अक्षमता का प्रदर्शन करते रहते है “अब हमारे हाथ में कुछ नहीं “. यह लाचारी व्यष्टि और समष्टि दोनों में ही देखी जाती है. विगत 2020-22 तक जो वैश्विक कोरोना या COVID-19 की वेव आई थी उसमें सारी दुनिया में सरकारी आंकड़े के अनुसार 7,010,681 लोग मारे गये थे. ये आंकड़े देशो की झूठी सरकारों के आंकड़े हैं इसलिए यह एक झूठा आंकड़ा है. भारत के आंकड़े पर तो विश्वास ही नहीं किया जा सकता है क्योंकि यहाँ मोदी जैसा महा झूठा पीएम था. दुनिया भर में कोरोना से लगभग डेढ़ करोड़ लोग मारे गये थे. सारी दुनिया की वैज्ञानिकता हाथ पर हाथ धरे बैठी रह गई थी और वैक्सीन की खोज कर रही थी. भारत में लाशें गंगा में तैर रहीं थी, सड़कें श्मशान बन गई थीं. भारत का कायर ठग पीएम नरेंद्र मोदी उस समय अपने मितरों को आपदा में अवसर दे रहा था. उस समय जबकि भारत की जनता आक्सीजन न मिलने से मर रही थी, मोदी पतंजली आयुर्वेद का कोरोनिल बेचवा रहा था जो एक पालक-चुकन्दर के जूस की तरह ही इम्युनिटी बूस्टर था. इस आपदा में अवसर का फायदा उठाते हुए ठग रामदेव ने 545 रूपये में कोरोनिल बेचा. आंकड़ों के अनुसार पहली खेप में ही 25 करोड़ लोगों ने इसे खरीदा था. इसी प्रकार अन्य वैक्सीन के साथ भी किया गया था. रेमडेसिविर के प्रभावी न होने के बाद बल्कि जनता पर इसका खराब पड़ने के बावजूद और डब्ल्यूएचओ की चेतावनियों के बावजूद, मोदी ने करोड़ों लेकर भारत में इसका उत्पादन बढ़ाने का षड्यंत्र किया और उसे सरकारी पैसे से खरीदा. वैक्सीन का सफल परिक्षण किये बिना उसे जनता की नसों में ठोक दिया गया था. गरीब जनता को डेड दवाएं, ड्रग फेल दवाएं और ऐसी वैक्सीन से मार देने का फासिस्ट षड्यंत्र भी हो सकता है.

यहाँ प्रसंग ये नहीं है, प्रसंग है कि मनुष्य के पापाचार से ही आपदाएं आती है. जब पाप इकट्ठा हो जाता है तो उससे सामाजिक उपद्रव मसलन बलात्कार, लूटपाट, अधर्म, पालक-चुकंदर का रस को कोरोना का इलाज बता कर बेचना, जनता के मनोविकार और उन्माद का बढ़ जाना, असत्य को सत्य समझना, अधर्म को धर्म समझना इत्यादि लक्षण प्रकट होने लगते हैं. कोरोना के समय भाजपा के कालनेमि जगह जगह अधर्म करते नजर आये, कोई सिगड़ी पर कड़ाही में गाली गली धुआं करके वेदों और यज्ञ का अपमान कर रहा था तो कोई गोबर के कीचड़ में बैठ कर शंख फूंक रहा था, परन्तु धार्मिकता द्वारा जनता मूर्ख बनाने का सबसे बड़ा कार्य मोदी ने किया.

नरेंद्र मोदी ने करोड़ो भारतियों से थाली बजवाया और दुनिया के सामने भारत की ऐतिहासिक मूर्खता का प्रदर्शन किया. मानव संभ्यता के इतिहास में किसी देश की जनता ने ऐसी कलेक्टिव मूर्खता का प्रदर्शन नहीं किया था. इसी आपदा में मोदी ने बड़ा अवसर निकाला और दवा बनाने वाली कम्पनियों से करोड़ों रूपये लेकर उन्हें फटाफट कोरोना की वैक्सीन और कोरोनिल निकलवा डाला. दवा कम्पनियों से करोड़ों लेकर मोदी ने उन्हें ड्रग टेस्ट में फेल दवाओं को बेचने की अनुमति प्रदान कर दिया था जिसका खुलासा अब हुआ है.

इस ज्योतिष टैक्स्ट में वराहमिहिर ने लिखा है कि मनुष्य के पाप की वृद्धि होने पर देवतागण अंतरिक्ष में उपद्रव ले आते हैं जिससे प्राकृतिक आपदाएं आती हैं. कोरोना के समय शनि-बृहस्पति की महायुति उत्तरषाढ नक्षत्र में हुई थी, उस समय करोना अपने चरम पर पहुंच गया था. यह युति लम्बी चली और जब तक यह युति पूरी तरह भंग नहीं हुई तब तक करोना की वेव खत्म नहीं हुई थी. दोनों ग्रह जब पूरी तरह सेपरेट हो गये तब करोना धीरे धीरे खत्म हो गया. कोरोना के खत्म होने में वैक्सीन का कोई योग नहीं है बल्कि वैक्सीन लेने वाले कई प्रकार की समस्याओं से लड़ रहे हैं और भारत में इसके दुष्प्रभाव में लोगों की अकस्मात ऑन स्पॉट मृत्यु हो रही है. मरने वालो में छोटी उम्र के बच्चे भी शरीक हैं. शनि का ऑर्ब लगभग 7 डिग्री होता है. इसके भीतर जितने भी ग्रह रहते हैं उन पर शनि का प्रभाव रहता ही है. शनि-बृहस्पति की पूर्वा और उत्तराषाढ में युति महामारक कहीं गई है विशेष रूप से उत्तरा, एक तो यह शनि का शत्रु नक्षत्र है दूसरे बृहस्पति यहाँ नीच का हो जाता है. कोरोना की दूसरी वेव सबसे मारक थी इस समय तक बृहस्पति शनि के ऑर्ब से बाहर नहीं निकल पाया था. शनि के ऑर्ब में बृहस्पति श्रवण नक्षत्र के अंतिम चरण तक रहा था. इसके इतर इस युति के दौर में लगभग सभी ग्रह शनि से युत हुए थे. दूसरी वेब के पीक समय में चार ग्रह मकर राशि में थे.

व्यक्तिगत स्तर पर भी मनुष्य के दुःख, कष्ट और अनेक प्रकार की पीड़ा का कारण उसके पाप कर्म ही होते हैं. बॉलीवुड की अनेक सुन्दरियां जिसमे कुछ भी कमी नहीं है, उसकी कामुक फिल्मों को देख कर अनेक लोग हस्तमैथुन तक करते हैं, वह सुंदरियां सन्तान दोष से पीड़ित हैं या किसी को जिन्दगी भर पुरुष ही नहीं मिल पाया ताकि वह घर बसा सके. यह उसके पाप कर्म ही हैं जिससे उसको सन्तान दोष है या उसका परिवार नहीं बसा या उजड़ गया. ऐसे ही मनुष्य के अनेक प्रकार के दुःख हैं, रोग हैं जो उनको पूर्वार्जित कर्मों से प्राप्त होता है. यही भारत के सभी धर्मों का मानना है. इस प्रकार देखें तो सुखी होने का एक मात्र उपाय है पुण्य कर्म करना और अपने आसपास शुभत्व को फैलाते रहना.