नरेंद्र मोदी स्वयं एक साक्षात्कार में कह चुके हैं कि वे मामूली स्कूली शिक्षा पा कर घुमने लगे थे और घूम घूम कर अनुभव लेने लगे थे. इसके इतर भी एक दो बार अपने अज्ञानी होने का दावा कर चुके हैं. लेकिन 2014 के बाद जब मोदी के कम पढ़े लिखे होने पर सवाल उठे, तो भाजपा ने नरेंद्र मोदी को डिग्री धारक बताया. भाजपा ने कहीं से फर्जी डिग्री बनवा कर प्रेस में दिखाया भी था. उस डिग्री फर्जी है यह एक्सपोज हुआ था. अब जब RTI से डिग्री के बारे में सूचना मांगी जा रही है तो नरेंद्र मोदी और समर्थक भक्त कह रहे हैं कि “कागज नहीं दिखायेंगे”. यह “कागज नहीं दिखायेंगे” मोमेंट कहा जा रहा है. नरेंद्र मोदी ने खुद जब अपने मुख से पुराने इंटरव्यू में कहा है कि वह पढ़े लिखे नहीं हैं तो उस पर विश्वास क्यों नहीं किया जा रहा है? क्या यह झूठा व्यक्ति इस हद तक भी झूठ बोल सकता है ! मोदी का सब कुछ नॉन-बायोलोजिकल है, कब पैदा हुए, कब चाय बेचे, कब स्कूल गये, कब डिग्री ली , कब हॉलीवुड गये, कब सन्यासी बने, कब तपस्या किया, कब नाटक करने की कला सीखी ..किसी को नहीं पता.
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से जुड़े अपने रिकॉर्ड अदालत को दिखाने के लिए तैयार है, लेकिन इसे सूचना के अधिकार (RTI) के तहत सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं किया जा सकता. एक याचिका में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के आदेश को चुनौती दी गई थी. इस आदेश में प्रधानमंत्री की स्नातक डिग्री से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने को कहा गया था.

