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यह एकद्भुत सिद्ध यंत्र है. इसकी पूजा और स्थापना नरकचतुर्दशी की रात्रि में की जाती है. यह गुप्त पंचदशी राहु-लक्ष्मी यंत्र है. इस यंत्र की बड़ी महिमा है, इसे भूर्जपत्र पर तीन बना लेना चाहिए. एक घर में पूजा स्थल पर रखना चाहिए, एक पर्स में और एक तिजोरी में या बक्से में रख देना चाहिए. इस यंत्र को अनार की कलम से और सिंदूर से निशीथ मुहूर्त में मन्त्र बोलते हुए बनाना चाहिए. यंत्र और मन्त्र नीचे दिया जा रहा है –

यंत्र –

मन्त्र –

ॐ नमो एक पांच नौ जोवन नारी, छह सात दूज की रखवारी , आठ तीज चौथ की जाई, सिंह भवानी लक्ष्मी घर आई शब्द सांचा लक्ष्मण जति का यही वाचा .

यंत्र बनाकर 9 देशी घी के दीप जलाएं और खानों के ऊपर रख दे. पंचोपचार पूजन करें. भोग में पूरी तथा लपसी और लड्डू का भोग लगायें. भोग के बाद पान-सुपारी निवेदन करें. गुग्गुल का धूप दे. तत्पश्चात इस मन्त्र का 1008 जप अनिवार्य है. जप के बाद शप्तशती के कवच, अर्गला, कीलक के साथ ग्यारहवें अध्याय का 11 पाठ करें. इसमें कुल 55 श्लोक हैं इसलिए पाठ में अधिक से अधिक 1 घंटा लगेगा. यह जप और पाठ ब्रह्ममुहूर्त से पहले सम्पन्न करें अर्थात 4 बजे से पूर्व पाठ सम्पन हो जाये. तदुपरांत भोग सामग्री को दोने में उठा लें और लक्ष्मी को प्रणाम कर घर के नैऋत्य दिशा में रख आयें. भोग सामग्री पर जल डाल कर तीन ताली बजाएं. उसके बाद बिना मुड़े घर आयें. हाथ पैर धुल लें. यंत्र को उठा कर तीनों जगह रख लें. यह यंत्र बहुत जल्द फलप्रद होता है.