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हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर पड़ती है. इस साल नरक चतुर्दशी 11 और 12 नवंबर 2023 को पड़ रही है. इसे दिवाली से एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद मनाया जाता है. इसे रूप चौदस, नरक चौदस और काली चौदस या छोटी दीवाली के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर वध किया था और सोलह सहस्र एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था. इस उपलक्ष में दीप जलाये जाते हैं. मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है. विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

पौराणिक मान्यता है कि इस दिन घरों में माता लक्ष्मी का आगमन होता है इसलिए घर की सभी दिशाओं को साफसुथरा कर दिया जलाया जाता है. इस दिन नरक से बचने के लिए भी कुछ खास उपाय किए जाते हैं. चतुर्दशी तिथि यम को समर्पित है इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम का दीपक जलाने की परंपरा है. माना जाता है कि इस दिन यम देव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है. इस सम्बन्ध में रांतिदेव कथा कही जाती है.

नरक चतुर्दशी कथा –

रन्ति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे. उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था पर जब मृत्यु का समय आया तो उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए. यमदूत को सामने देख राजा अचम्भित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का अर्थ है कि मुझे नर्क जाना होगा. आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है. पुण्यात्मा राजा की अनुनय भरी वाणी सुनकर यमदूत ने कहा हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक भूखा ब्राह्मण लौट गया यह उसी पापकर्म का फल है.

दूतों की इस प्रकार कहने पर राजा ने यमदूतों से कहा कि मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझे एक वर्ष का और समय दे . यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया. राजा रंतिदेव अपनी समस्या लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें सब वृतान्त कहकर उनसे पूछा कि इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय है. ऋषि बोले हे राजन् आप कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्रह्मणों को भोजन करवा कर उनसे अनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें.

राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया था. इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ. उस दिन से ही पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने का बड़ा महात्म्य है. स्नान के पश्चात विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है. इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है.

14 दीपक जलायें-
इस दिन 14 दीये जलाने का काफी महत्व है. साफ सुथरा होकर आप इन दियों को जलाएं. इन दियों को घर के वृद्ध को या गृहस्वामी को ही जलाना चाहिए. आप इन दियों को जलाकर निम्नलिखित जगहों पर रखे दें-

1-पहला दीया रात में घर से बाहर दक्षिण की ओर मुख कर कूड़े के ढेर के पास रखा जाता है.

2-दूसरा दीये को आप सुनसान देवालय में रख दें. इसे सदैव घी से जलाना चाहिए. ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है.

3-तीसरे दीये को मां लक्ष्मी के समक्ष जलायें

4- चौधा दीया माता तुलसी के समक्ष जलाते हैं.

5- पांचवां दीया घर के दरवाजे के बाहर जलायें

6- छठा पीपल के पेड़ के नीचे रखें

७- सातवां दीया किसी मंदिर में जलायें.

8-आठवां दीया घर में जहां कूड़ा रखा जाता है उस जगह पर जलायें

9-नौवां दीया घर के बाथरूम में जलायें.

10- और दसवां दीया घर की छत की मुंडेर पर रखें

11-ग्यारहवां दीया घर की छत पर दे

12- बारहवां दीया खिड़की के पास जला कर रखें

13-तेरहवें दिये को बरामदे में जलाकर रख दें

14- चौदहवां दीया रसोई में जलायें

इस दिन एक चौमुखा तेल का दिया नैऋत्य कोण में जलाने से धन के आगमन के रस्ते खुल जाते हैं.