सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. इस पुरे महीने महादेव की विशेष पुजा होती है. इस महीने में ही नागपंचमी पर नाग देवता का पूजन भी किया जाता है. नागों को आदि पितर माना जाता है. महाभारत का प्रारम्भ ही नाग की कथा से होती है. नाग कश्यप ऋषि और कद्रू की सन्तान हैं. कद्रू के गर्भ से आठ प्रमुख सर्पो की उत्पत्ति हुई जिनमे वासुकी, तक्षक, कुलक, कर्कोटक, पद्म, शंख, चूड़, महापद्म और धनंजय प्रमुख नाग थे और जो सर्पो के राजा हुए. मत्स्य पुराण में छब्बीस प्रसिद्ध नागों का वर्णन मिलता है. महाभारत के अनुसार राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के डंसने से हुई थी. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए जनमेजय ने सर्पों को मारने के लिए सर्प सत्र का आयोजन किया था. भीषण यज्ञ में अवाहन करने पर संसार के सारे सर्प यज्ञ कुंड में गिरकर भस्म होने लगे, सर्पों ने अपनी जान बचने के लिए आस्तिक मुनि की शरण ली. मुनि ने राजा जनमेजय को ऐसा न करने के लिए समाझाया और यज्ञ को रुकवाया और सर्पो को बचा लिया. जिस दिन यह घटना हुई थी वह सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी थी. इसके बाद से नाग पंचमी का पर्व मनाया जाने लगा. श्रवण मास की पंचमी के दिन नागों की उपासना करने से सर्प दोष और काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है.
इस साल नाग पंचमी 9 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी. नाग पंचमी पर शेष, पद्म, कंबल, शंखपाल, नाग अनंत, वासुकी, कालिया, तक्षक आदि अष्ट नागों या नव नागों की गोबर, गेरू या मिट्टी से आकृति बना कर इन अष्ट नागों की पूजा करनी चाहिए. अष्ट नागों में सर्पों के राजा भगवान वासुकी की विशेष पूजा करना चाहिए और दूध-लावा अर्पित करना चाहिए.
नाग पंचमी मुहूर्त-
दृक पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ 9 अगस्त 2024 को सुबह 8: 15 मिनट पर हो रहा है. इस तिथि का समापन अगले दिन 10 अगस्त को सुबह 06: 09 बजे पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, 9 अगस्त को नाग पंचमी मनाया जाएगा. इस दिन पूजा का विशेष मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 1 बजे तक है. इस दिन प्रदोष काल में भी नाग देवता की पूजा करना प्रशस्त रहेगा. प्रदोष काल में शाम 6:33 पीएम से रात 8:20 पीएम तक नाग देवता की पूजा कर सकते हैं.
पूजा में इन नव नागों का इस श्लोक से स्मरण करना चाहिए-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्,
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
नाग पंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर का दर्शन –

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के शिखर पर विराजमान नागचंद्रेश्वर का दर्शन साल में एक बार ही होता है. यहां पर नाग देवता की एक अद्भुत प्रतिमा स्थापित है, जो 11वीं शताब्दी की है. इस प्रतिमा में नाग देवता ने अपने फन फैलाए हुए हैं और उसके ऊपर शिव-पार्वती विराजमान हैं. यह विश्व का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहां भगवान शिव सर्प के आसन पर माता पार्वती संग विराजमान हैं. पूरे साल में इस मंदिर के पट केवल 24 घंटे के लिए ही खोले जाते हैं. नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की जाती है.

