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 गुजरात के अहमदाबाद में मंगलवार को दशहरे के अवसर पर गुजरात बौद्ध अकादमी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में राज्य भर से 400 से ज्यादा हिंदुओं ने हिन्दू धर्म पर लानत मारते हुए बौद्ध धर्म (Buddhism) अपना लिया. दशहरे पर प्रतिवर्ष धर्मान्तरण का यह कार्यक्रम होता है. इस बार आयोजित होने वाला यह 14वां ऐसा आयोजन था अर्थात हजारों हिन्दू गुजराती इस कार्यक्रम में बौध हो चुके हैं. अहमदाबाद, गांधीनगर, वडोदरा, मेहसाणा, सुरेंद्रनगर और बोटाद के परिवारों ने इस कार्यक्रम में बौद्ध धर्म अपनाया. अमरावती महाराष्ट्र के भदंत प्रज्ञाशील महाथेरो (Bhadant Pragyasheel Mahathero) की अध्यक्षता में यह समारोह हुआ.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वडोदरा स्थित 38 वर्षीय प्रवीणभाई परमार भी धर्म परिवर्तन करने वालों में से एक थे, उन्होंने अपने फैसले के लिए हिंदू धर्म (Hindu Religion) में दलितों पर अत्याचार और असमानता का हवाला दिया और कहा कि “बौद्ध धर्म में समानता, प्रेम और करुणा है. कोई भेदभाव नहीं, हिंदू धर्म में हर जगह भेदभाव है और दलितों पर दिन-ब-दिन अत्याचार बढ़ रहे हैं. हिंदू होने का क्या मतलब है जब हमारे लिए कुछ भी अच्छा नहीं है.” धर्म परिवर्तन करने वालों में अधिकतर लोग दलित समुदाय से थे.

गुजरात बौद्ध अकादमी के सचिव ने कहा कि बौध धर्म हिंदू धर्म में छुआछूत और जातिगत भेदभाव के विपरीत सभी को समानता की दृष्टि से देखता है. यह बौध संगठन 2010 से दीक्षा कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. उधर दशहरा के दिन ही नागपुर में भी हिन्दुओं के खिलाफ बड़े आयोजन किये गये थे जिसमे पेशवाओं और शिवाजी के खिलाफ दीक्षा भूमि पर बौध राजा अशोक की मूर्ति स्थापित की गई और कहा गया कि दशहरा अशोक के नाम पर बना क्योंकि दस को हरा कर अशोक राजा बना. सम्राट अशोक की 10 फीट ऊंची धातु की प्रतिमा तमिलनाडु में बनाई जा रही है. इसे दो साल में पूरा कर दीक्षाभूमि को सौंपा जाएगा. अभी मॉडल के तौर पर दीक्षाभूमि को एक प्रतिमा दी गई है.