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राजा राम जब अश्वमेध यज्ञ करने चले तो वशिष्ठ जी ने कहा “राम बिना पत्नी के तुम यज्ञ नहीं कर सकते”. सीता जी की अनुपस्थिति में सीता जी की स्वर्ण मूर्ति बनायी गई थी तब यज्ञ सम्पन्न हुआ था. सनातन धर्म का यह प्रसंग अत्यंत महत्वपूर्ण प्रसंग है. हर यज्ञ में शक्ति का होना आवश्यक है.

बिना शक्ति के यज्ञ सम्भव नहीं है. पुष्कर में जब ब्रह्मा जी यज्ञ कर रहे थे और उनकी पत्नी मौजूद नहीं थीं तब उन्होंने गायत्री का वरण कर यज्ञ सम्पन्न किया था. नरेंद्र मोदी अकेले श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा कर घोर अधर्म कर रहे हैं. उन्हें अपनी त्याज्य पत्नी का पुन: वरण कर यह पूजन करने बैठना चाहिए.