
वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह बुद्धि, व्यापार और मीडिया का प्रमुख कारक है. बुध ग्रह 13 दिसम्बर दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर धनु राशि में वक्री हो जायेगा. बुध धनु राशि में 28 दिसंबर तक वक्री अवस्था में रहेगा. बुध ग्रह वक्री अवस्था में ही 28 दिसंबर को वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा. वक्री बुध का प्रभाव भी अन्य ग्रहों की तरह मानव जीवन पर पड़ता है, बुध अपनी वक्र अवस्था में व्यक्ति के जीवन में कई समस्याएं लेकर आ सकता है. वक्री अवधि के दौरान ग्रह शक्तिशाली होते हैं और तदनुसार प्रभाव डालते हैं. यदि बुध की महादशा- अन्तर्दशा है तो ऐसे में काफी सचेत रहना चाहिए. यह जन्म कुंडली में स्थिति और दशा के आधार पर अच्छे और बुरे परिणाम देगा.
वक्री ग्रह के फल को गोचर में चन्द्र लग्न अर्थात अपनी राशि के अनुसार देखना चाहिए. यदि राशि से शुभ स्थान में गोचर कर रहा है तो शुभ फल दे सकता है, यदि अशुभ स्थान जैसे अष्टम में गोचर कर रहा है तो अशुभ फल बढ़ सकता है. लग्न से भी इसके गोचर में वक्री स्थिति का आंकलन करना चाहिए.
13 दिसम्बर को गोचर में जब बुध वक्री होगा उस समय यह वक्री गुरु बृहस्पति द्वारा दृष्ट होगा. वक्री बुध ग्रह पर गुरु बृहस्पति का दो तरफा प्रभाव होगा, एक तो वह बृहस्पति की मूलत्रिकोण राशि में है और दूसरे वह राशि स्वामी द्वारा दृष्ट होगा. ऐसे में वक्री बुध बृहस्पति के अनुसार शुभाशुभ फल करेगा. बुध एक नपुंसक ग्रह है, यह जिस ग्रह से युत या दृष्ट होता है तदनुसार फल करने लगता है.
कुछ राशियों कर्क, वृषभ और मकर के लिए बक्री बुध ज्यादा खराब फल कर सकता है. वक्री ग्रह अकस्मात शुभ फल भी दे देते हैं जिसकी अपेक्षा जातक को नहीं होती. वक्री ग्रह का सनसनी की तरह शोर मचाने वाले ज्योतिष वेबसाईटों पर वक्री ग्रह का ज्यादा नकारात्मक फल ही बताया जाता है, ऐसे में आप सावधान रहें. नकारात्मक बातों की तरफ ध्यान न दें. बुध एक शुभ ग्रह है और बृहस्पति द्वारा दृष्ट रहेगा जब तक वह वृश्चिक में प्रवेश नहीं करता. ऐसे में यदि आपका बृहस्पति शुभ है तो 28 दिसम्बर तक बुध आपको कोई बड़ा लाभ दे सकता है, परीक्षा में सफलता दिला सकता है. गुरु बृहस्पति के मार्गी होने तक बुध उनके गहरे प्रभाव में फल करेगा. वक्री बुध के समय व्यापार, लेन-देन, वाणी और कम्युनिकेशन पर विशेष नियन्त्रण रखें.
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