मार्गशीर्ष अमावस्या अत्यंत शुभ फलप्रद मानी गई है. मृगशिरा नक्षत्र से सम्बंधित होने के कारण इस अमावस्या को मार्गशीर्ष अमावस्या कहा जाता है. इस बार यह अमावस्या कृष्ण पक्ष में शनिवार को पड़ने से शनिचरी अमावस्या है. इस अमावस्या में पितृ पूजन, तर्पण और श्राद्ध करने से पितृ दोष सहित अनेक प्रकार के दोष खत्म होते हैं और घर में सुख शांति आती है. इस अमावस्या में शनि पूजन बहुत फलदायक होगा. अमावस्या पितरो को समर्पित तिथि है इसलिए पितरो को तर्पण करना चाहिए. मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन भगवान शिव की भी विशेष पूजा करनी चाहिए. शनि अमावस्या में राहु दोष निवृत्ति के लिए पूजन करना लाभदायक होता है. अमावस्या में नदी, तालाब में स्नान करके, सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए और पितरो का तर्पण करना चाहिए. इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराना, दान करना बहुत फलदायक माना गया है. इस दिन तिल के लड्डू, कम्बल, सर्दी के वस्त्र इत्यादि का दान अवश्य करना चाहिए.
अमावस्या मुहूर्त –
हिंदू पंचांग के अनुसार 30 नवंबर, 2024 दिन शनिवार को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरूआत होगी. इसका समापन 1 दिसंबर, 2024 को रविवार को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर होगा. मार्गशीर्ष अमावस्या 1 दिसंबर, 2024 दिन रविवार को मनाई जाएगी.

