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त्रयोदशी भगवान शिव के पूजा की विशेष तिथि है, ऐसा कहा गया है इस एक तिथि में प्रदोष काल में शिव पूजन सहस्रगुना फलदायक होता है और मोक्ष दायक होता है. हर महीने की त्रयोदशी महत्वपूर्ण है क्योंकि हर महीने के आदित्यगण अलग अलग होते हैं. मार्गशीर्ष महीने के की त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह महीना भगवान का स्वरूप कहा गया है. इस बार प्रदोष व्रत 18 नवम्बर, 2024 दिन गुरुवार को किया जाएगा. त्रयोदशी गुरुवार को पड़ रही है, गुरुवार को पड़ने की वजह से इसे गुरु प्रदोष के नाम से जाना जाता है. गुरु प्रदोष व्रत को करने से भौतिक उन्नति, ज्ञान और व्यापार में वृद्धि तथा धन लाभ होता है. इस प्रदोष व्रत से गुरु दोष का प्रभाव कम होता है. गुरु वाणी, ज्ञान और धन का कारक है. गुरु के अच्छा अच्छा होने पर जातक धनवान, विद्वान् और ज्ञानी होता है. गुरु प्रदोष व्रत के साथ शिव का विधिवत पूजन आवश्यक है. प्रदोष काल में ही यह पूजन सम्पन्न करें.

प्रदोष व्रत मुहूर्त –

पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को सुबह 6 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन अगले दिन 29 नवंबर को सुबह 8 बजकर 39 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार गुरु प्रदोष व्रत 28 नवंबर गुरुवार को है. शिव पूजन के लिए सायं प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. इस दिन सौभाग्य योग और शोभन योग बन रहे हैं और चन्द्रमा चित्रा और स्वाति नक्षत्र में रहेगा. प्रदोष काल में स्वाती नक्षत्र का योग शुभ फलप्रद रहेगा.