सनातन धर्म में सभी देवताओं के मंगल श्लोक लिखे गये हैं जिनका प्रात: स्मरण मात्र से ही देवताओं की प्रसन्नता होती है. नवग्रहों के मंगल श्लोक अत्यंत लाभप्रद होते हैं. मंगल श्लोकों का सुबह स्मरण करने मात्र से कष्टों का निवारण होता है. यहाँ सभी देवताओं के मंगल श्लोक दिए गये हैं और साथ में नवग्रहों के भी मंगल श्लोक दिए जा रहे हैं. इनके सुबह पाठ करने ग्रह रूप देवताओ का कोप शांत होता है तथा सभी ग्रह भी शांत होते हैं.
।। प्रथम गणपति वन्दना ।।
ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा ।।
गजाननं भूत गणादि सेवितं ।
कपित्थ जम्बू फल चारु भक्षणं।।
उमा सुतं शोक विनाश कारकं ।
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
।। गुरु वन्दना ।।
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु: गुरु देवो महेश्वर:।
गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
मुकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम् ।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानंद माधवम ।।
अज्ञानंतिमिरांधस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।
।। व्यास जी ध्यान ।।
व्यसाय विष्णु रूपाय , व्यास रूपाय विष्णवे ।
नमो वै ब्रह्मनिधये , वाशिष्ठाय नमो नमः ।।
नमोस्तुते व्यास विशाल बुद्धे
फुल्लार रविन्दाय तपत्र नेत्रं ।
येन त्वया भारत तैल पूर्णे:
प्रज्वालितो ज्ञान मयः प्रदीप ।।
नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तम्म ।
देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जय मुदीरयेत ।।
सीता राम समारम्भाम श्रीरामानंदार्य मध्यमाम् ।
अस्मदाचार्य पर्यंतां वन्दे श्रीगुरु परम्पराम् ।
।।श्री विष्णु वन्दना ।।
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्म नाभं सुरेशं ।
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघ वर्णम शुभांगम।।
लक्ष्मीकान्तम कमलनयनं योगीभिर्ध्यान गम्यम ।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकैकनाथम् ।।
।। कृष्ण वन्दना ।।
वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूरमर्दनं।
देवकी परमानन्दम कृष्णम वन्दे जगदगुरूम।।
श्री कृष्ण गोबिन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव।
हे नाथ नारायण वासुदेव हे नाथ नारायण वासुदेव ।।
।।श्री राम वन्दना ।।
रामाय राम भद्राय राम चंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः।।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम ततुल्यं राम नाम वरानने ।।
।। हनुमान वंदना ।।।
मानोजपं मारुत तुल्य वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ।।
।।श्री गौरी शंकर वन्दना ।।
कर्पूर गौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारं ।
सदा वसन्तम हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितंनमामि।।
।। श्री दुर्गा देवी वन्दना ।।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणी नमोस्तुते।।
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
।। श्री महालक्ष्मी वन्दना ।।
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे ।।
नमोस्तुते महामाये श्री पीठे सुर पूजिते ।
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते ।।
।।श्री सरस्वती वन्दना ।।
सरस्वती महाभागे विध्ये कमल लोचने।
विद्या रूपी विशालाक्षी विद्याम देहि नमोस्तुते।।
सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नमः ।
वेद वेदान्त वेदाङ्ग बिद्या स्थनीभ्यः एवं च ।।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रा वृता ।
या वीणा वर दंड मण्डित करा या श्वेत पद्मासना ।।
या ब्रह्मा च्युत शंकर प्रभृतिभिर्देवै: सदा वंदिता ।
सा मा पातु सरस्वती भगवती निः शेष जाड्या पहा ।।
शुक्लां ब्रह्म विचार सार परमा माद्यम जगदव्यापिनी
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधती पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरि भगवती बुद्धि प्रदां शारदाम् ।।
।। सूर्य वन्दना ।।
आदित्यं च नमस्कार ये कुर्वन्ति दिने दिने।
जन्मांतर सहस्रेषु दारिद्रम नोप जयते ।।
नमो धर्म विधात्रे हि नमो कर्म सुसाक्षिणे।
नमो प्रत्यक्ष देवाय भास्कराय नमोनमः।।
।। नवग्रह शांति वन्दना ।।
ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु।
सूर्यः शौर्यमथेन्दुरुच्चपदवीं सन्मंगलं मंगलः
सद्बुद्धिं च बुधो गुरुश्च गुरुतां शुक्र सुखं शं शनिः ।
राहुर्बाहुबलं करोतु सततं केतुः कुलस्योन्नतिं
नित्यं प्रीतिकरा भवन्तु मम ते सर्वेऽनुकूला ग्रहाः ॥
अर्थ- ब्रह्मा, विष्णु और शिव भगवान, सूर्य, चंद्रमा, भूमि सुत यानी मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु सभी ग्रहों की शांति करें। शौर्य प्रदान करने वाले सूर्य देव, उच्च पदवी देने वाले चन्द्रदेव, सर्वथा मंगल करने वाले मगल देव, सद्बुद्धि देने वाले बुध, गुरु गुरुता प्रदान करने वाले, शुक्र सुख प्रदान करने वाले और शनि शांति देने वाले, बाहुबल बढ़ाने वाले राहु तथा कुल की सदा वृद्धि करने वाले केतु हमारे लिए नित्य अनुकूल और सुख प्रदान करने वाले हों.

