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प्रयागराज संगम पर ‘मकर संक्रांति’ के पर्व पर पहले स्नान के साथ माघ मेला का शुभारंभ होता है. इस बार माघ मेला का प्रारम्भ 15 जनवरी को होगा लेकिन पहले स्नान में संतों और श्रद्धालुओं को आधी-अधूरी तैयारियों और अव्यवस्थाओं के बीच में आस्था की डुबकी लगानी पड़ेगी. गौरतलब है कि माघ मेला पर हिन्दू एक महीने का कल्पवास और साधु-संत के साथ समागम’ करते हैं. कल्पवासियों के लिए प्रशासन ही सारी व्यवस्था करता है.

योगी आदित्यनाथ की निकम्मी सरकार माघ मेला आयोजन की व्यवस्था को समय पर पूरा नहीं कर पाई है. श्रधालुओं के लिए व्यवस्था का कार्य 25 दिसम्बर को पूरा किया जाना था जो नहीं किया जा सका है. इस बार माघ मेला लगभग 800 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर बसाया गया है. मेला क्षेत्र में पहुंच रहे साधु-संत का कहना है कि मेला अधिकारी का दावा खोखला साबित हो रहा है. मेला शुरू होने में मात्र चार दिन शेष है जबकि मेले में अभी भी बसावट की पूरी तैयारी नहीं हुई है. झूंसी क्षेत्र में अभी केवल बिजली के खंभों पर बिजली के तार दौडाए गए हैं. मेला क्षेत्र में कार्य कर रही सरकारी कार्यालयों के शिविर के अलावा कहीं कहीं आधे अधूरे तंबुओं का शिविर दिखलाई पड़ रहे हैं. अनेक मठों और सम्प्रदाय के साधु संतों में समय पर जमीन आवंटित न होने से उनमे कष्ट और असंतोष है.

हर वर्ष प्रयाग धर्म संघ ही कल्पवासियों को बसाता है. संस्था का कहना है कि माघ मेला का पहला मकर संक्रांति स्नान पर्व अव्यवस्थाओं और आधी-अधूरी तैयारियों के बीच ही होगा. मेला क्षेत्र में अभी पूरा काम नहीं हो सका है. प्रशासन ने सभी काम पूरे करने की कई बार आखिरी तारीख 25 दिसंबर निर्धारित किया गया था जबकि वह तिथि भी समाप्त हो गयी. झूंसी क्षेत्र में अभी भी आधी अधूरी तैयारियों के बीच शिविर कहीं कहीं दिख रही है.