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महाभाग्यशाली योग जैसा नाम से विदित है, यह एक विशेष और बहुत दुर्लभ योग है. जिन जातकों की कुंडली में यह योग होता है वो महाभाग्यशाली होता है. इस योग की खासियत यह है कि यह स्त्री पुरुष दोनों के लिए अलग अलग तरह से निर्मित होता है. महाभाग्य योग में स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए अलग अलग नियम हैं.

स्त्री कुण्डली में महाभाग्य योग
स्त्री जातकों के लिए महाभाग्य योग के नियम बिल्कुल विपरीत होते हैं.
स्त्री की कुंडली में निम्नलिखित स्थितियां होनी चाहिए –
१- रात्री में जन्म हो अर्थात सूर्यास्त के बाद जब रात्रि का प्रारम्भ हो और सूर्योदय से पूर्व
२- लग्न सम राशि का हो
३-चन्द्रमा सम राशि में हो और सूर्य भी सम राशि का हो , ये चारो स्थितियां हो और साथ में चन्द्रमा-सूर्य, लग्न-लग्नेश दु:स्थान में न हों, क्रूर ग्रहों से पीड़ित न हों और चन्द्रमा-सूर्य बली हो.
नीचे दी गई कुंडली में राजयोग की कुंडली है लेकिन लग्नस्वामी के द्वादश होने से महाभाग्य योग खंडित हो गया है. महारानी विक्टोरिया सम्राज्ञी थीं, 9 बच्चों की मां थीं लेकिन कम उम्र में ही विधवा हो गईं. इनको Widow of Windsor कहा जाता था. विधवा होने के लगभग दो वर्ष तक महारानी विक्टोरिया महल से बहार नहीं निकलीं थी. स्त्री के सौभाग्य का सबसे प्रमुख पहलू उसका मांगल्य होता है. यदि स्त्री अति धनवान हो, अति प्रसिद्ध भी हो लेकिन वह पतिहीन और पुत्रहीन हो तो उसे दुर्भाग्यशाली कहा जाता है. महाभाग्यशाली का अर्थ है कि उसके जीवन में कभी जीवन के किसी पहलू के सन्दर्भ में कोई दुर्भाग्य नहीं होता. ऐसे योग्य बड़े पुण्य से बनते हैं.

महाभाग्य योग हो जाये तो स्त्री चरित्रवान, उदारचित्त, सौभाग्यशालिनी, अति धनवान, लोकप्रिय और प्रसिद्ध होती है. जिस स्त्री की कुंडली में यह योग बना हो वह रानी जैसी होती है. उसे राजकीय कार्यो में भाग लेने के अवसर प्राप्त होते है. इसके साथ ही जातिका दीर्घजीवी होती है. स्त्री को जीवन में प्रतिष्ठा, सर्व सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पति, पुत्र, नाती-पोतों के साथ चिर काल तक सुखी रहती है. यह योग इतना प्रभावशाली है कि गरीब घर में जन्मी स्त्री भी रानी होती है.

पुरुष की कुंडली में महाभाग्य योग-

, पुरुष के लिए इस योग के बनने की निम्नलिखित शर्ते हैं –
1- दिन में जन्म हो अर्थात सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच
२- लग्न में विषम राशि हो
३- चन्द्रमा विषम राशि में हो और सूर्य भी विषम राशि में हो

जिन पुरुषों का जन्म सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के मध्य हुआ हो, और जन्म कुण्डली में लग्न विषम राशि का हो और सूर्य व चंद्रमा भी विषम राशि में हों तो उन्हें महाभाग्य योग प्राप्त होता है. उपरोक्त चारो स्थितियां हो और साथ में चन्द्रमा-सूर्य, लग्न-लग्नेश दु:स्थान में न हों, क्रूर ग्रहों से पीड़ित न हों और चन्द्रमा-सूर्य बली हो. यदि योग बना हो और सूर्य नीच या दु:स्थान में हो तो योग खराब हो जाएगा. जिस पुरुष जातक की कुण्डली में इस योग का निर्माण होता है वह जातक समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा को प्राप्त करने वाला होता है. जातक सभी प्रकार के कर्मों को करने में कुशल होता है, यह भूमि का स्वामी, धनी और राजा के समान ऐश्वर्यशाली होता है.
इस योग का प्रभाव इतना शुभ होता है कि आचार्यों ने यहाँ तक कहा है कि अगर जातक किसी गरीब परिवार में भी जन्मा हो तो भी इस योग के बल से राजा जैसा ऐश्वर्यवान और धनवान बनता है.