
महाशिवरात्रि सभी हिन्दुओं का महत्वपूर्ण पर्व है. यह भगवान शिव की पूजा और उपासना का पर्व है और शैवों के लिए विशेष महत्व का है. महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. ऐसा शैव मान्यता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ था. पौराणिक मान्यता है कि इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग के उदय से हुआ. यह शिव-शक्ति के मिलन का भी महापर्व है. इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन शिव-पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और शिव बारात भी निकलती है.
शिवरात्रि महूर्त-
पंचांग के अनुसार इस साल महाशिवरात्रि के लिए फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे से लेकर 27 फरवरी को सुबह 08:54 बजे तक है. 26 फरवरी को प्रातः 11:08 बजे से रात्रि 10:05 बजे तक भद्रा काल रहेगा. शिव पूजा में भद्रा इत्यादि अशुभ मुहूर्त मान्य नहीं होते क्योकि शिव स्वयं महाकाल हैं. उदयातिथि के अनुसार महाशिवरात्रि 26 फरवरी दिन बुधवार को है. उस दिन ही महाशिवरात्रि का व्रत और पूजन होगा. सायं पूजा 06:19 बजे से रात्रि 09:26 बजे तक की जा सकती है. महाशिवरात्रि पर निशिथ पूजा का मुहूर्त देर रात 12:09 बजे से लेकर 12:59 बजे तक है. निशिथ मुहूर्त शिव की विशेष पूजा के लिए होती है, इस काल में तंत्र, मंत्र और सिद्धियों के लिए पूजा की जाती है.
शिवरात्रि में भगवान शिव का सभी वस्तुओं से अभिषेक करना चाहिए. गंगाजल, दुग्ध,दही,घी,शक्कर,इक्छु रस इन सभी पदार्थों से शिव मन्त्र या सिर्फ ॐ द्वारा अभिषेक करें. पंचाक्षरी शिव मन्त्र द्वारा ही सभी वस्तुओं का अर्पण करें और पूजन करें. शिवरात्रि के दिन बिना धतुरा, विल्व पत्र, भंग के पूजन न करें. सभी प्रकार के भोज्य पदार्थ भगवान को निवेदन करें, भंतिभांति के भोगलगायें. पूजन में शिव महिम्न स्तोत्र का गायन करें या किसी शिव स्तोत्र का पाठ करें.